सिंधिया राजघराने ने कैसे रखा राजनीति में कदम, 27 सांसद देने वाले इस परिवार के बारें में विस्तार से जानें

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सिंधिया राजघराने ने कैसे रखा राजनिति में कदम, 27 सांसद देने वाले इस परिवार के बारें में विस्तार से जानें

भारत की राजनीति में ऐसे कई परिवार हैं जो भारत की आजादी से लेकर अबतक राजनीति में अपने पैर जमाए हुए हैं। ऐसा ही एक मध्य प्रदेश का सिंधिया परिवार है। जिसने 1957 में राजनीति में  कदम रखा था। इस परिवार ने अबतक कुल 27 बार सांसद का चुनाव जीतकर एक अलग मुकाम हासिल किया है। इस परिवार ने ग्वालियर के लोगों का दिल जीत रखा है। जब ही इस परिवार से इतने बड़ी तादाद में सांसद का चुनाव जीता गया है।

आज हम इस रोयल परिवार के राजनीति में कदम रखने से लेकर अब तक के इतिहास के बारे में विस्तार से जानेंगे।

इस परिवार का राजनीतिक जीवन मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से शुरू होता है। दरअसल, ग्वालियर का जयविलास महल आजादी के समय रजवाड़ो का राजनीति का एक प्रमुख केंद्र था। इसके मुखिया जिवाजीराव थे। भारत के मध्य में स्थित अलग-अलग रियासतों को मिलाकर मध्य प्रदेश राज्य को बनाया गया था। उस समय जिवाजीराव की राजनीति में कोई विशेष रूचि नहीं थी लेकिन कांग्रेस पार्टी उनके प्रभाव के चलते उन्हें कांग्रेस में शामिल करना चाहती थी। हालांकि जिवाजीराव तो पार्टी में शामिल नहीं हुए लेकिन उनकी पत्नी विजयाराजे सिंधिया 1957 में कांग्रेस की गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गई थीं और उन्होंने ये चुनाव जीता भी। ये वही दौर था जब सिंधिया परिवार ने राजनीति में पैर रखा था। इसके बाद इस परिवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सिंधिया परिवार 27 बार लोकसभा चुनाव जीता।


विजयाराजे सिंधिया बीजेपी में शामिल हुईं

विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दोबारा 1962 में कांग्रेस की टिकट से ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने साल 1967 में विधानसभा चुनाव जीता लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक मोड़ तब सामने आया जब विजयाराजे ने सन् 1989 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा। ये वही पहला दौर तब सिंधिया परिवार की बीजेपी में एंट्री हुई। विजयाराजे ने इस चुनाव में लगभग एक लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। 1989 का चुनाव लड़ने के बाद वह बीजेपी में ही रहीं।

विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया ने भी राजनीति में पैर रखा

विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया ने 1971 में बीजेपी की गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीवार को डेढ़ लाख वोटों से हराकर भारी जीत हासिल की। हालांकि उन्होंने 1977 के आम चुनाव ग्वालियर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़ा और इसमें भी उन्हें जीत मिली।

सिंधिया परिवार में दरार

1979 में मोराजी देसाई की सरकार गिरने के बाद 1980 में देश में दोबोरा आम चुनाव की घोषणा हुई। इस चुनाव में जनता पार्टी ने विजयाराजे सिंधिया को रायबरेली से इंदिरा गांधी के खिलाफ टिकट दिया। इसी समय माधवराव और इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी दोनों पक्के दोस्त बन गए थे। इसी को लेकर माधवराव ने अपनी मां से बीजेपी की टिकट से चुनाव ना लड़ने की गुजारिश की लेकिन उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला और वह इंदिरा गांधी से चुनाव हार गईं। दूसरी तरफ मां-बेटे के रिश्ते में यहीं से दरार पड़ना शुरू हो गई। 1980 तक माधराव पूरी तरफ कांग्रेस में शामिल हो गए थे।


1980 में बीजेपी का गठन और विजयाराजे सिधिंया बनीं उपाध्यक्ष

1980 में बीजेपी का गठन किया गया था और यही वो समय था। जब सिंधिया परिवार में एक नया मोड़ देखने को मिला। बीजेपी ने विजयाराजे को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया।

विजयाराजे सिंधिया की बेटी भी बीजेपी हुईं शामिल

विजयाराजे की बेची वसुंधरा राजे ने 1984 में मध्य प्रदेश के भिंड लोकसभा की सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन इंदारा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में वह हार गईं। हालांकि उन्होंने बीजेपी का दामन नहीं छोड़ा और 2003 में राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। फिलहाल वह राजस्थान में बीजेपी की हार के चलते विपक्ष में हैं।

विजयाराजे सिंधिया की दूसरी बेटी भी बीजेपी में हुईं शामिल

वसुंधरा राजे के बाद उनकी छोटी बहन यशोधरा राजे भी बीजेपी में शामिल हुईं। यशोदरा राजे मध्य प्रदेश के शिवपूरी से 1998 और 2003 में बीजेपी की सीट से जीत दर्ज की। उन्हें बीजेपी ने मध्य प्रदेश सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी दी थी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस में एंट्री

30 सितंबर 2001 को माधराव सिंधिया की विमान दुर्घटना में मौत होने के बाद 2002 में ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद उन्होंने 2004 में दोबारा लोकसभा चुनाव लड़ा। ज्योतिरादित्य 2008 में पहली बार मनमोहन सरकार में सूचना एंव प्रसारण राज्यमंत्री बनाए गए थे। दूसरी बार उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था। सिंधिया मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से 2002 से 2014 तक लगातार जीत हासिल की। सिंधिया कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं।

सिंधिया परिवार से बने 27 सांस

1. विजयाराजे सिंधिया 4 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस पार्टी से सांसद बनी थीं। इसेक अलावा वह 1 बार जनसंघ और 1 बार निर्दलीय चुनाव जीतकर सांसद बनी थीं।

2. माधवराव सिंधिया ने 1971 से 1999 तक 9 बार लोकसभा चुनाव जीत हासिल की।

3. वसुंधरा राजे राजस्थान की झालवाड़ लोकसभा सीट से 4 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं।

4. माधवराव सिंधिया के बटे ज्योदिरादित्य सिंधिया ने भी 3 बार लोकसभा और एक उपचुनाव में जीत हासिल की है।

5. यशोधरा राजे सिंधिया ने बीजेपी से 2 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है।

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