आईआईटी धनबाद की अनूठी पहल, नियम तोड़ने पर स्टूडेंट्स को मिलती है ये सजा

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आईआईटी धनबाद की अनूठी पहल, नियम तोड़ने पर स्टूडेंट्स को मिलती है ये सजा

आईआईटी धनबाद ने अपने स्टूडेंट्स के लिए नई सजा तय की है। आईईटी के छात्रों को नियम तोड़ने पर मिलती है ऐसी सज़ा जिसमें उन्हें गरीब बच्चों को पढ़ाना होता है। इसके तहत स्टूडेंट्स अगर निर्धारित समय रात 10 बजे के बाद कैंपस में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना होता है। इसके अलावा, क्लास रूम में देर से आने पर उन्हें स्वच्छता अभियान से जुड़ने और स्वच्छता का संदेश देना पड़ता है। संस्थान की सजा देने का यह अनोखा तरीका चर्चा में है।

इस सजा के पीछे संस्थान की क्या सोच थी?

पुरानी व्यवस्था में नकद फाइन की सज़ा होती थी। जिसका बोझ अभिभावकों पर पड़ता था। नई व्यवस्था से छात्र अब अपनी गलती को खुद महसूस कर सकते हैं । प्रबंधन का मानना है कि देर से आने वाले स्टूडेंट्स के पास काफी खाली समय रहता है। इसलिए उनके खाली समय का सदुपयोग किया जा रहा है। इसके तहत स्टूडेंट्स को कम्युनिटी सर्विस से भी जोड़ा जा रहा है।


कौन तय करता है सजा?

इन छात्रों की सज़ा सेंटर फॉर सोसाइटल मिशन (सीएसएम) सजा तय करती है। स्टूडेंट जिस विषय में बेहतर होते हैं, उन्हें उसी विषय की 10वीं और 12वीं या अन्य कक्षा के गरीब बच्चों मुफ्त कोचिंग देनी पड़ती है। सज़ा के तहत स्टूडेंट्स को स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने के लिए आम लोगों को जागरूक भी करना होता है। संस्थान का मकसद है कि स्टूडेंट्स नियमों का अनुपालन करें,  उन्हें गलती का एहसास हो और वे कम्युनिटी की जरूरतों को भी समझें।

आखिर कैसे तय होते हैं सजा के घंटे

पहली बार गलती करने वाले स्टूडेंट्स को सिर्फ वार्निंग देकर छोड़ दिया जाता है, लेकिन दूसरी बार गलती करने पर चार घंटे, तीसरी बार के लिए 5 घंटे और चौथी बार गलती पर 8 घंटे कम्युनिटी सर्विस देना पड़ता है।

इसके बावजूद अगर स्टूडेंट्स में सुधार नहीं हुआ तो उसे निलंबित या टर्मिनेट भी किया जा सकता है। वहीं, स्टूडेंट्स अगर जेआरएफ हैं, तो उन्हें फैलोशिप नहीं देने का भी प्रावधान है। यह संस्थान में बनी अनुशासनात्मक नियमों के अनुसार ही किया जाता है।


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