कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान भारतीय रेलवे बड़ा निर्णय लेने की तैयारी में जुटी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर भोपाल डबलडेकर यात्री ट्रेन की तरह ही कई यात्री ट्रेन घाटे में जा रही है, उनको बंद करने की तैयारी चल रही है।
इसके अलावा राजनेताओं के प्रस्ताव पर जिन ट्रेन को ठहराव दिया गया था, उनकी समीक्षा करने के बाद ट्रेन कई ठहराव भी बंद किए जा सकते है। रेलवे के इस निर्णय से न सिर्फ रतलाम रेल मंडल बल्कि भोपाल, जबलपुर रेल मंडल में बड़ा असर होगा।
जब तक नया टाइम टेबल नहीं आएगा तब तक जीरो टाइम टेबल के आधार पर ही ट्रेन को चलाया जाएगा। रेलवे ने हाल ही में कई ट्रेन की समीक्षा करने के लिए एक उच्च स्तर की एक कमेटी का गठन किया है।
अधिकारियों के मुताबिक इस कमेटी में तीन अतिवरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। कुछ समय पूर्व बंगलुरू में हुई टाइम टेबल कमेटी के प्रस्ताव को खारिज करके फिलहाल जीरो बेस टाइम टेबल पर ही ट्रेन को चलाने की योजना है।
इस बीच कई ट्रेन के ठहराव की भी समीक्षा की जाएगी। जहां से कम से कम 40 प्रतिशत राजस्व नहीं है, उन रेलवे स्टेशन के ठहराव को बंद करने का प्रस्ताव पेश किया गया है।
जो ट्रेन चलने के बाद से घाटे में जा रही है, उनको बंद करने का प्रस्ताव भी कमेटी के पास विचाराधीन है। कमेटी के एक पूर्व सदस्य के अनुसार यह ठीक वैसा ही है जिस तरह इंदौर भोपाल डबलडेकर ट्रेन को घाटे की वजह से बंद किया गया।
आपको बता दें कि इंदौर से चलने वाली अवंतिका एक्सपे्रस का ही रतलाम से लेकर दाहोद के बीच अनेक स्टेशन पर ठहराव राजनीतिक दबाव के बाद हुआ। ऐसी ही कुछ इंदौर पुणा ट्रेन के साथ भी हुआ।
रेलवे अधिकारियों ने इस पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। अब इस निर्णय पर मंथन शुरू हो गया है। कोई भी व्यक्ति घाटे के लिए कारोबार नहीं करता तो ट्रेन को घाटे में क्यों चलाई जाए।