जेएनयू हिंसा में मामला दर्ज, पुलिस बोली-रोकने पर नहीं माने उत्पाती

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नई दिल्ली, 6 जनवरी (आईएएनएस)| जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने वसंत कुंज (उत्तर) थाने में सोमवार को स्वत: मामला दर्ज किया। एफआईआर की तहरीर में कहा गया है कि पुलिस के रोकने के बावजूद अराजक भीड़ ने कैम्पस में दंगा-फसाद कर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने संबंधित धाराओं में अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

एफआईआर के मुताबिक, कुछ दिनों से जेएनयू के छात्र हॉस्टल की फीस बढ़ने व अन्य मांगों को लेकर यूनिवर्सिटी के अंदर प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू कैम्पस के प्रशासनिक खंड के सौ मीटर दायरे में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा रखी है।


एफआईआर के लिए तहरीर देने वाले पुलिसकर्मी ने कहा कि वह 5 जनवरी को स्टाफ के साथ जेएनयू के प्रशासनिक खंड में मौजूद था। तीन बजकर 45 मिनट पर उसे सूचना मिली की कुछ छात्र पेरियार हॉस्टल में एकत्र होकर मारपीट कर रहे हैं। इसमें से कुछ लोगों ने चेहरे को मफलर और कपड़े से ढंक रखा था। उनके हाथों में डंडे थे। पुलिस के पहुंचते ही हुड़दंग मचाने वाले और तोड़फोड़ करने वाले भाग खड़े हुए।

इस दौरान स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए जेएनयू प्रशासन की ओर से एक अनुरोध पत्र भी प्राप्त हुआ था, जिसके बाद अतिरिक्त पुलिस बल भी बुलाया गया। इस बीच कैम्पस के अंदर से झगड़े और मारपीट की अन्य कई कॉल्स पीसीआर को मिलीं। फिर शाम करीब सात बजे पुलिस को साबरमती हॉस्टल में मारपीट और तोड़फोड़ की सूचना मिली।

पुलिस पहुंची तो देखा कि 50 से 60 लोग डंडे लेकर हॉस्टल में तोड़फोड़ कर रहे हैं। पुलिस की चेतावनी के बावजूद डंडे लिए लोग तोड़फोड़ करते रहे। बाद में अराजक भीड़ भाग खड़ी हुई। पुलिस के मुताबिक, घायल छात्रों को बाद में एम्स में भर्ती कराया गया।


एफआईआर की तहरीर में कहा गया है कि अनियंत्रित भीड़ ने जानबूझकर एक राय होकर दंगा फसाद करके सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम किया है।

पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने की धारा तीन पीडीपीपी एक्ट सहित दंगा-फसाद करने, शांति भंग आदि धाराओं में केस दर्ज कर छानबीन शुरू की है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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