नई दिल्ली/मुंबई, 19 मार्च (आईएएनएस)| वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के पट्टेदारों ने इसके बोइंग विमानों को स्पाइसेट को बेचने की पेशकश की है।
एक सूत्र ने कहा, उद्योग के जानकार के मुताबिक, पट्टेदारों की ओर से 50 विमानों को ड्राई लीज नियमों के तहत बेचने की पेशकश की गई है। ये पट्टेदार जेट को विमानों को बेचने में सक्षम हैं, क्योंकि बकाया राशि को नहीं चुकाया गया है।
इस पेशकश पर स्पाइसजेट ने आशावादी ढंग से प्रतिक्रिया दी है, जिसे सरकार के सुरक्षा प्रतिबंधों की वजह से अपने 12, 737 मैक्स 8 विमानों को खड़ा करना पड़ा है।
एक सूत्र ने मुंबई में आईएएनएस से कहा, “50 विमानों के साथ पट्टेदारों (सभी जेट के विमान) ने स्पाइसजेट के साथ संपर्क साधा है। वे जेट के वित्तीय झमेले से बाहर निकलने के लिए बेकरार हैं।”
वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने अपने लीज देने वालों का बकाया नहीं चुकाया है, जिस वजह से विमानन कंपनी लगातार अपने विमानों का परिचालन बंद कर रही है। कंपनी ने अब तक अपने 40 से अधिक विमान खड़े कर दिए हैं।
विमानन नियामक, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मंगलवार दोपहर को कहा कि जेट एयरवेज के पास उड़ान के लिए केवल 41 विमान ही है और इसके इस बेड़े के आकार में और अधिक कमी हो सकती है।
डीजीसीए ने यहां जेट एयरवेज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद यह जानकारी दी।
डीजीसीए के एक बयान के मुताबिक, “डीजीसीए ने संचालन, उड़ान योग्यता, यात्रियों की सुविधा पर जेट एयरवेज के संचालन की समीक्षा की।”
बयान के मुताबिक, “बेड़े में यात्रा संचालन के लिए विमानों की मौजूदा उपलब्धता 41 है और इसी वजह से 603 घरेलू उड़ानों और 382 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। हालांकि यह एक स्थिर स्थिति नहीं है और आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो सकती है।”
बयान के अनुसार, डीजीसीए ने विमानन कंपनी को नागर विमानन नियमों (सीएआर) के प्रावधानों का पालन करने के लिए कहा है, जिसके अंतर्गत यात्रियों को समय पर सूचित करना, मुआवजा देना, रिफंड और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक उड़ान मुहैया कराना है।
बयान के अनुसार, “डीजीसीए यह सुनिश्चित कर रहा है कि बेड़े में मौजूद सारे विमान, चाहे वह संचालित हो रहे हो या खड़े हों, उसका रखरखाव स्वीकृत रखरखाव कार्यक्रमों (एएमपी) के तहत हो।”
विमान नियामक संस्था ने जेट को यह भी निर्देश दिए कि पायलट/चालक दल का सदस्य/विमान रखरखाव इंजीनियरों में से किसी भी प्रकार के तनाव के शिकार कर्मचारियों से काम नहीं कराया जाए।