झारखंड चुनाव के नतीजे का बिहार में दिखेगा ‘साइड इफेक्ट’

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झारखंड चुनाव के नतीजे का बिहार में दिखेगा 'साइड इफेक्ट'

पटना | झारखंड के 2019 विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राजद के गठबंधन को पूर्ण बहुमत और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली करारी हार के बाद जहां भाजपा रणनीतिकारों की रणनीति पर प्रश्न उठने लगे हैं, वहीं इसका प्रभाव आने वाले चुनावों पर भी पड़ने के आसार बढ़ गए हैं।

गठबंधन के नेता इस विजय से जहां उत्साह में हैं, वहीं भाजपा आगे की राणनीति बनाने में जुट गई है। झारखंड चुनाव परिणाम के बाद अब लोगों की नजरें पड़ोसी बिहार पर टिक गई हैं, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है।


जानकार मानते हैं कि झारखंड चुनाव परिणाम का बिहार में भाजपा के वोटबैंक पर बहुत खास असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन जीत से उत्साहित विपक्ष अब जहां ज्यादा आक्रामक हो जाएगी, वहीं भाजपा को उसके सहयोगी दल भी आंखें दिखाना शुरू कर देंगे।

राजनीतिक समीक्षक और बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया वेल्लारी कहते हैं, “विपक्ष की बात तो बाद में, अब राजग में ही भाजपा के सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ‘फ्रंटफुट’ पर सियासी बल्लेबाजी करेगी, जबकि भाजपा ‘बैकफुट’ पर रहेगी।”

उन्होंने कहा कि लोजपा और जद (यू) राजग में समन्वय समिति की मांग पूर्व में कर चुकी हैं। यह मांग भी अब जोर पकड़ेगी और आने वाले साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर भी इस परिणाम का असर दिखेगा। इतना तो तय है कि भाजपा सीट बंटवारे के समय अब अपने सहयोगी दलों पर अब खुलकर दबाव नहीं बना सकेगी।


वैसे, देखा जाए तो झारखंड चुनाव परिणाम को लेकर राजग में किचकिच शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि किचकिच का असर सरकार पर नहीं पड़ेगा।

वेल्लारी कहते हैं, “ऐसा नहीं है कि झारखंड चुनाव परिणाम का प्रभाव केवल राजग में दिखेगा। विपक्षी दलों के महागठबंधन में भी इसका साइड इफेक्ट देखने को मिलेगा।”

पहली बार झारखंड में 16 सीटों पर जीत से उत्सासहित कांग्रेस अभी से ही राजद को आंख दिखाने लगी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि आने वाले चुनाव में नेतृत्व को लेकर अभी कोई बात नहीं हुई है, जबकि दूसरी ओर राजद तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर पहले ही घोषणा कर चुका है।

इधर, जद (यू) नेता भी भाजपा को नसीहत देने लगे हैं। जद (यू) के नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने झारखंड में भाजपा की हार के बाद झारखंड में भाजपा के नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा का ‘विजन’ बड़ा नहीं था। राजग में शामिल सभी दलों के साथ अगर गठबंधन करते तो परिणाम उल्टा होता। उन्होंने कहा कि अलग-अलग लड़ने की वजह से राजग का वोट बंटा।

झारखंड के राजनीतिक समीक्षक मधुकर ने कहा कि अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं आना भाजपा के लिए नुकसानदेह तो है ही, छोटे दलों की बांछें भी खिल गई हैं। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जद (यू) खुद को ‘कम्फर्ट जोन’ में महसूस करने लगेंगे, वहीं उनका दबाव भाजपा पर बढ़ जाएगा। झारखंड में छोटे दलों का कुनबा भी बड़ा हो गया है। इन सबका प्रतिकूल असर अब भाजपा की छवि पर भी पड़ेगा।

झारखंड में विधानसभा की 81 सीटों में से कांग्रेस, राजद, झामुमो गठबंधन को बहुमत से अधिक सीटें मिली हैं, जबकि ‘अबकी बार 65 पार’ का नारा देने वाली भाजपा ‘डबल इंजन’ के बावजूद 26 तक ही सिमटकर रह गई।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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