झारखण्ड में इन दिनों एक घोटाले पर चर्चा चल रही है। रघुवर सरकार के कार्यकाल की चर्चित कंबल घोटाले में हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका दायर कर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। आरोप है कि जिन दस्तावेजों के आधार पर लगभग 9 लाख कंबल निर्माण के दावे किए जा रहें हैं, वह फर्जी है। जिसकी पुष्टि महालेखाकार के जारी किए गए आंकड़ों से भी होती है।
प्रबंध निदेशक और CEO पर हैं आरोप
2017 में कंबल खरीद मामले में 18.41 करोड़ सरकारी राशि का बंदरबांट करने का आरोप झारक्राफ्ट की तत्कालीन CEO रेनू गोपीनाथ पाणिकर और प्रबंध निदेशक रवि कुमार हैं। तत्कालीन विकास आयुक्त अमित खरे ने 12 बिंदुओं के आधार इसकी जांच कराने की अनुशंसा की थी, लेकिन आज तक जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में अब निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं ताकि गरीबों को कंबल के जरिए मिलने वाली राहत किसके हिस्से गई, इसका खुलासा हो सके।
इस घोटाले को लेकर राज्य के बुनकर संघ ने भी सवाल उठाया है और दावा किया है कि 64 के करीब सहयोग समितियों से लगभग 9 लाख कंबलों का निर्माण कराया गया है। अभी 15 महीने हो गए है लेकिन सैंकड़ो बुनकरों को उनकी मेहनत की कमाई नहीं मिली है। पैसे नहीं मिलने के कारण इन बुनकरों की हालत भूखे मरने वाली जैसी हो गई है।
इस घोटाले को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने रघुवर सरकार पर तीखा हमला किया है। आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने कहा, विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और विपक्ष चाहे तो सदन में बहस करा सकता है।
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