Kashmir: समाजसेवी फैसल ने100 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स महाराष्ट्र भेजे, कही ये बात

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Kashmir:  ऑक्सीजन-इंसान के लिए सबसे जरुरी। ऑक्सीजन (Oxygen) मिले तो जिंदगी की डोर टूट जाती है। कोरोना महामारी को हराने के लिए ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स (Oxygen concentrators) एक बड़ा हथियार हैं, लेकिन यह कम पड़ते जा रहे हैं। कीमतें आसमां को छू रही हैं। मुनाफाखोर और जमाखोर महामारी में असहाय लोगों काे मरता देख रहे हैं, लेकिन कुछ हैं जो मुनाफा नहीं इंसानियत देख रहे हैं, उसे बचाने की अपनी जिम्मेदारी को निभाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में फैसल डार भी हैं। उन्होंने बिना काेई मुनाफा कमाए 100 आॅक्सीजन कंसनट्रेटर्स महाराष्ट्र के विभिन्न समाजसेवी संगठनों और अस्पतालों को उपलब्ध कराए हैं।

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा (Health and Medical) क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के विक्रेता फैसल डार कश्मीर (Faisal Dar Kashmir) में कई समाजसेवी संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स मुख्य तौर पर हमारे देश में चीन से ही आयात किए जाते हैं। दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े शहरों के व्यापारी इसका आयात करते हैं। पिछले साल जब कोरोना महामारी का दौर शुरु हुआ था तो इसकी मांग बढ़ गई थी। यहां कश्मीर में भी इसकी बहुत जरुरत थी। हम कुछ समाज सेवी संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं। उनमें एक सोशल रिफार्मेशन आर्गेनाइजेशन एसआरओ भी हैं।


यहां हमने देखा कि कोरोना मरीजों को कई बार ऑक्सीजन कसंनट्रेटर्स की जरुरत होती है। यह उनकी जान बचाने में अहम रहता है। हमने एसआरओ के लिए 200 कंसनट्रेटर्स मंगवाए थे। उस समय हमें यह करीब 40 हजार रुपये प्रति कंसनट्रेटस की दर से कश्मीर में मिले थे। आधे कंसनट्रेटर्स हमें समय पर मिल गए थे और 100 कंसनट्रेटस सप्लायर ने देरी से भेजे। इस बीच, हमने अपने अन्य संसाधनों के जरिए एसआरओ का आर्डर पूरा कर दिया।

फैसल डार ने कहा बीते मार्च के दौरान कोरोना की दूसरी लहर के तेज होने के साथ ही ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स की मांग भी बढ़ गई। महाराष्ट्र में तो संकट बहुत ज्यादा है। दिल्ली-मंंबई व अन्य जगहों पर इसकी कालाबाजारी शुरु हो गई। कई जगह इसकी कीमत 80 हजार भी ली गई। महाराष्ट्र की कुछ समाजसेवी संस्थाओं और अस्पतालों का एसआरओ के साथ संपर्क था।

उन्होंने हमें अपनी मुश्किल बताई, हमने नो प्राॅफिट नो लॉस के आधार पर 100 कंसनट्रेटर्स महाराष्ट्र भेज दिए। हमने वही मोल लिया जो हमने इनकी खरीद पर चुकाया था। हमारे लिए यह मुनाना कमाने का नहीं इंसानियत बचाने का मौका है। इस्लाम में मुनाफाखोरी गुनाह है। वैसे भी इस समय महामारी का दौर है, पाक रमजान का महीना भी चल रहा।


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