लखनऊ | हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की अभी तक की कार्रवाई, दावे और थ्योरी पर सवाल उठ रहे हैं। तिवारी की हत्या के चौबीस घंटे बाद पुलिस महानिदेशक ने भले ही प्रेसवार्ता कर दावा किया हो कि “हमने पूरे मामले का खुलासा कर दिया है।” लेकिन सच तो यह है कि संदेह के आधार पर तीन आरोपियों को गुजरात और महाराष्ट्र एटीएस ने पकड़ा है।
इस पूरे मामले में यूपी पुलिस की शिथिलता ही नजर आ रही है। उप्र पुलिस ने अभी तक एसआईटी टीम गठन के अलावा कोई कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है।
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कुछ लोगों का हालांकि कहना है कि पुलिस अगर सक्रिय होती तो एटीएस के ‘हिंट’ के बाद दो आरोपी फरार न होते। कुछ लोगों ने कमलेश तिवारी की सुरक्षा को कम करने के लिए यूपी पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया है। कमलेश की मां कुसुम तिवारी को भी पुलिस प्रशास से शिकायत है। उन्होंने कहा, “इस सरकार में कमलेश की सुरक्षा लगातार कम की गई। अखिलेश यादव की सरकार में कमलेश को 17 सुरक्षाकर्मी मिले थे, जो कम होते-होते आठ तक सिमट गए और योगी की सरकार में यह संख्या घटकर चार तक पहुंच गई। दो कमलेश के साथ चलते थे और दो दफ्तर में रहते थे। जिस दिन कमलेश की हत्या हुई, उस दिन एक भी सुरक्षाकर्मी उनके साथ नहीं था।”
कुसुम तिवारी का साफ कहना है कि पुलिस ने अगर सुरक्षा दी होती तो शायद इतनी बड़ी घटना न हो पाती।
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उधर, कमलेश के बेटे ने भी पुलिस कार्रवाई से पर अविश्वास प्रकट करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता है कि जो लोग पकड़े गए हैं उन्हीं लोगों ने मेरे पिता को मारा है या फिर निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है। यदि वास्तव में यही लोग दोषी हैं और इनके खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं तो इसकी जांच एनआईए से कराई जाए, क्योंकि हमें इस प्रशासन पर कोई भरोसा नहीं है।”
वहीं, हत्या के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंचे लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी के बयान में कहा गया कि यह आपसी रंजिश का मामला है। जबकि पुलिस महानिदेशक ने इसे पुराने मामले से जोड़ने का प्रयास किया है।
परिवारिक लोगों का पुलिस के प्रति अविश्वास किसी घटना की ओर इशारा करता है। हालांकि यह भी पता चला है कि पुलिस के किसी भी अधिकारी को इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया गया है।
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जानकार कहते हैं कि खुलासा तो हो गया है, लेकिन कमलेश तिवारी की हत्या करने वाला शख्स अभी भी यूपी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। यूपी पुलिस ने शूटरों को गिरफ्तार करने के लिए कई टीमों को लगा रखा है, लेकिन हत्यारा यूपी पुलिस को लगातार चकमा दे रहा है।
वहीं, इस मामले को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव का कहना है, “घटनाक्रम अभी जांच का विषय है। रही बात परिवार के पुलिस पर अविश्वास की तो इस वक्त जो सूरते-हाल है, इस पर बहुत कम लोगों का विश्वास है।”
उन्होंने कहा कि हालांकि पुलिस के कुछ बड़े अधिकरियों ने हाल के दिनों में पुलिस के बयानों को विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया है। लेकिन गाहे-बगाहे कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जिस कारण विश्वास नहीं बन पाता। यही कारण है कमलेश तिवारी का परिवार एनआईए से जांच की बात कर रहा है।
श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में अभी तक यूपी पुलिस का कोई मजबूत कदम नहीं दिखा, बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात के एटीएस ने संजीदगी दिखाई है। यूपी पुलिस को दोनों अपराधियों को पकड़ने में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। 48 घंटे में पकड़ने का दावा भी विफल हो गया। अपराधी जरूर पुलिस को धता बताते हुए कभी बरेली तो कभी शाहजहांपुर के सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
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