कयामत की रात : धरे रह गए चिन्मयानंद के तिकड़म और डॉक्टरों के नुस्खे (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

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शाहजहांपुर, 20 सितम्बर (आईएएनएस)| अब दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के मुलजिम बन चुके और कल तक भाजपा के कद्दावर नेता समझे जाने वाले रंगीन-मिजाज स्वामी चिन्यमानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह के लिए गुरुवार और शुक्रवार के बीच की रात कयामत की साबित हुई। अपने ही मजबूत किले यानि मुमुक्ष आश्रम में लेटे स्वामी जी की आंखों से नींद कोसों दूर थी। नींद आती भी कैसे? सिर पर कच्चे धागे में बंधी गिरफ्तारी की तलवार जो कई दिन से लटकी हुई थी, उस पर भी आश्रम के बाहर पुलिस और एसआईटी की पैनी नजरों की निगरानी का कड़ा पहरा।

मामले के उजागर होने के बाद से ही स्वामी, शिष्या और एसआईटी के बीच एक अजीब-ओ-गरीब सी भागदौड़ वाला खेल खेला जा रहा था। लुका-छिपी के इस हैरतअंगेज खेल में ‘पासे’ लम्हा-लम्हा उलट-पलट रहे थे। कभी स्वामी जी शिष्या पर भारी साबित हो जा रहे थे, और मौका हाथ आते ही तो कभी शिष्या स्वामी जी का सुख-चैन छीन लेती। एसआईटी जब बीच में पहुंची, तो परेशानी दोनो पक्षों की बढ़ गई।


स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी भले ही शुक्रवार को हुई। आईएएनएस ने लेकिन कई दिन पहले ही बता दिया था कि, ‘जो सबूत और गवाह सामने आ रहे हैं, उनके मद्देनजर एक वक्त वो भी जल्दी ही सामने आएगा, जब दोनों पक्ष पीड़ित और मुलजिम के तौर पर जांच एजेंसी के सामने खड़े होंगे। तब एसआईटी को तय करना होगा कि, वो दोनो ही पक्षों को जुर्म के कटघरे में खड़ा कर दें या फिर एसआईटी आगे की जांच में चाहेगी कि निगरानी के लिए गठित इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ का मार्ग-दर्शन हो।’

आईएएनएस द्वारा पूर्व में ही किए जा चुके यह तमाम सनसनीखेज तथ्य कहिये या फिर खुलासे, शुक्रवार को चिन्मयानंद के जेल जाते ही सही साबित हो गए। आईएएनएस ने काफी पहले ही यह भी लिखा था कि, “पूरी कहानी की पटकथा ब्लैकमेलिंग-वसूली के किरदारों से भरी हुई ही सामने आएगी।”

स्वामी के साथ ही एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए, पीड़िता के पक्ष के तीन आरोपियों-ब्लैकमेलरों (संजय सिंह, विक्रम उर्फ बृजेश और सचिन उर्फ सोनू) को जेल भेजे जाने से सही सिद्ध हो चुकी है। आईएएनएस से बातचीत में तीनों की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश सिंह ने कहा, “पीड़िता के पक्ष के तीन आरोपियों की गिरफ्तारी और दुष्कर्म के आरोप में स्वामी चिन्मयानंद के पकड़े जाने के बाद अब एसआईटी रिपोर्ट को हाईकोर्ट की विशेष पीठ के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही है।”


सूत्रों के मुताबिक, “चिन्मयानंद को भनक लग चुकी थी कि उन्हें गिरफ्तारी और जेल से शायद कोई न बचा सकेगा। इसी के चलते पीड़िता के धारा 164 के बयान अदालत में दर्ज होने वाले दिन से ही बलात्कार के आरोपी ने ढोंग करने शुरू कर दिए। इसी क्रम में वो सबसे पहले निजी चिकित्सकों की देख-रेख में पहुंच गया।”

एसआईटी से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “दुष्कर्म के आरोपी चिन्मयानंद ने गिरफ्तारी के फंदे से गला बचाने के लिए कोई तिकड़म बाकी नहीं छोड़ी। चर्चाएं ये भी थीं कि स्वामी को जेल से बचाने में उसके निजी चिकित्सकों का हर ‘नुस्खा’ जब फेल हो गया तो, उसने (चिन्मयानंद) लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश के मशहूर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने की भी जुगत भिड़ाई। अज्ञात कारणों से यह युक्ति मगर सिरे नहीं चढ़ सकी।”

गिरफ्तारी वाली यानि गुरुवार-शुक्रवार की पूरी रात स्वामी के लिए कयामत वाली साबित हुई। कभी भी गिरफ्तारी होने की भनक स्वामी को लग चुकी थी. ऐसे में भला नींद कहां आने वाली थी? सुबह निकलते ही उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, “एसआईटी ने दुष्कर्म के मुलजिम चिन्मयानंद को रात में ही गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी, जो स्वामी के समर्थकों के चलते फेल हो गई। हां, रात में एसआईटी ने यह इंतजाम जरुर कर लिए कि, दिन निकलते ही स्वामी को कैसे आनन-फानन में गिरफ्तार करके अस्पताल, अदालत और वहां से सुरक्षित जेल भिजवाया जायेगा।”

स्वामी के मुमुक्ष आश्रम से अस्पताल, अदालत और फिर वहां से जेल तक का रास्ता साफ कराने और सुरक्षा के कड़े इंतजाम को लेकर एसआईटी प्रभारी आईजी नवीन अरोरा आधी रात के बाद ही शाहजहांपुर जिला पुलिस अधिकारियों को निर्देश दे चुके थे।

आईएएनएस ने कई दिन पहले लिखा था कि, “जांच की दिशा अगर सही रही तो पीड़िता पक्ष के लोग भी कहीं न कहीं ब्लैकमेलिंग में फंसेंगे। पीड़िता के साथ कार में बैठे युवकों का जो वीडियो लीक हुआ, उसमें से एसआईटी ने तीन युवकों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। तीनो पर आरोप ब्लैकमेलिंग का है। पीड़िता के वीडियो के बलबूते ये तीनो मुलजिम बने चिन्मयानंद से करोड़ों रुपये की वसूली करने की फिराक में थे। जो उनकी गिरफ्तारी के बाद धरी रह गई।”

कई दिन से चल रहे इस लुका-छुपी के खेल का भांडा फूटने के बाद यह तो साबित हो ही गया है कि इस मामले को उजागर करने का श्रेय दुष्कर्म पीड़िता को नहीं, बल्कि दुष्कर्म के मुलजिम बने स्वामी चिन्मयानंद को ही जाता है। वजह, पीड़ित लड़की के साथी अगर आपत्तिजनक वीडियो के बलबूते स्वामी से करोड़ों की रकम वसूली करने की कोशिश नहीं करते, तो शायद स्वामी चिन्मयानंद कभी भी थाने में जबरन धन वसूली की शिकायत करने लड़की से पहले न पहुंच पाते।

स्वामी ने जब थाने में उन्हें वीडियो के बलबूते ब्लैकमेल करने की शिकायत दर्ज कराई, तो उसी के बाद कभी उनके कॉलेज में ही कानून की छात्रा रही (अब पीड़िता) लड़की अचानक गायब हो गई, और स्वामी के पीछे-पीछे पीड़िता के पिता ने भी वीडियो के बलबूते स्वामी द्वारा बेटी के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर मामला दर्ज करा दिया।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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