अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू आजकल शांत हैं। ऐसे समय में जब पूरे देश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल मची है, तब सिद्धू का शांत रहना कई सवालों को जन्म देता है। पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पिछले करीब 20 दिनों से सारे काम छोड़कर चुपचाप बैठे हुए हैं। उनका कांग्रेस में किसी नेता से कोई संपर्क भी नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस से नाराजगी की अब उनके पास एक और वजह है, सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को उनकी पसंद की चंडीगढ़ सीट से टिकट देने से कांग्रेस ने मना कर दिया। इस सीट से कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता पवन बंसल को उम्मीदवार बनाया है। पहले चर्चा थी कि नवजोत कौर को अमृतसर सीट से टिकट दिया जा सकता है, जहां से अमरिंदर सिंह ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अरुण जेटली को हराया था। लेकिन इन चर्चाओं पर भी तब विराम लग गया जब मंगलवार रात कांग्रेस ने अमृतसर लोकसभा सीट से गुरजीत सिंह ओजला को टिकट दे दिया।
वैसे मीडिया से बोलते हुए सिद्धू ने कहा कि 10 दिन पहले उनके दांतों का ऑपरेशन हुआ था। इस कारण डॉक्टरों ने आराम करने को कहा था और बोलने से पूरी तरह मना किया था। इस कारण वह सार्वजनिक तौर पर वह नहीं दिखे। सिद्धू ने कहा, इस तरह की चर्चाएं फिजूल हैं। मैं किसी तरह से नाराज नहीं हूं। मैं आज भी दफ्तर में बैठा हूं और कामकाज निपटा रहा हूं। अब तो आने वाले समय में ही यह साफ हो पायेगा के सिद्धू की चुप्पी की क्या वजह थी।
गौरतलब है कि साल 2014 में अमृतसर से अरुण जेटली को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने भाजपा छोड़ दी थी। सिद्धू ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया था। बताया जा रहा है कि मोगा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में उन्हें बोलने के लिए आमंत्रित नहीं करने पर भी वह नाराज हैं। इसके साथ ही उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि वह इस बात से भी नाराज हैं कि वह छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं हैं, हालांकि वह देश भर में चुनाव प्रचार की मांग में बने हुए हैं।
कांग्रेस घोषणापत्र में काम, दाम, शान, सुशासन, स्वाभिमान व सम्मान पर जोर