लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बंगाल की 2 सीटों पर होगा मतदान

  • Follow Newsd Hindi On  

 कोलकाता, 9 अप्रैल (आईएएनएस)| कूच बिहार जिले के 51 बांग्लादेशी एंक्लेव्स के निवासी, केंद्र में अगली सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

  ये लोग एक अगस्त, 2015 को औपचारिक रूप से भारतीय नागरिक बने थे और 2016 में ये दो बार मतभान भी कर चुके हैं। इन्होंने पहले विधानसभा चुनाव में और उसके बाद लोकसभा उपचुनाव में मतदान किया था।


 

विकास के साफ संकेत दिखाई देने के बावजूद, ये निवासी नौकरियों की कमी की शिकायत करते हैं, जबकि जिन लोगों ने बांग्लादेशी जमीन के भारतीय एंक्लेव से कूच बिहार में बसने के बारे में चुना, वे अभी भी अपनी जमीन के वादे के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें हिरासत शिविरों में रहने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है।

11 अप्रैल को उत्तर बंगाल की दो सीटों कूच बिहार और अलीपुरद्वार के लिए मतदान होना है, जिनपर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मजबूत पकड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता राज्य में अपने पैर पसार चुकी भाजपा व पारंपरिक रूप से मजबूत वाम मोर्चा पर हावी दिखाई दे रही है।


कूचबिहार लोकसभा सीट पर 1977 से 2009 तक वाम मोर्चा की सहयोगी ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का कब्जा था और उसने लगातार 10 बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

एआईएफबी की जीत के रथ पर 2014 में लगाम लगी, जब तृणमूल ने यह सीट छीन ली और दो साल बाद सांसद रेणुका सिन्हा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी इसने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

2014 में जहां एआईएफबी दूसरे नंबर पर रही थी, वहीं 2016 में भाजपा ने 28 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर आकर सबको चौंका दिया।

तृणमूल ने इस बार वाम मोर्चा सरकार के पूर्व मंत्री और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के पूर्व नेता को अपना उम्मीदवार बनाया है, ताकि वाम समर्थक मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जा सके।

वहीं भाजपा ने तृणमूल के युवा नेता निशीथ प्रमाणिक को अपना उम्मीदवार बनाया है, उन्हें पार्टी ने पिछले साल निष्कासित किया था।

एआईएफबी ने गोबिंदा रॉय को टिकट दिया है, जबकि पिया रॉय चौधरी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।

जिस तरह से कूच बिहार एक जमाने में एआईएफबी का गढ़ रहा था, ठीक उसी तरह अलीपुरद्वार लोकसभा सीट पर 1977 से 2009 के बीच रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने लगातार 10 बार जीत दर्ज कर इसे अपने अभेद्य किले में तब्दील कर दिया था।

तृणमूल के दशरथ टिर्की ने वैध मतों का 29.46 फीसदी हिस्सा हासिल कर इस सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि आरएसपी के मनोहर टिर्की को 27.72 फीसदी वोट मिले थे। वहीं भाजपा के बीरेंद्र ओराव 27.30 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

इस बार भी दशरथ टिर्की तृणमूल उम्मीदवार के रूप में फिर से मैदान में हैं। आरएसपी ने मिली ओराव और भाजपा ने जॉन बार्ला को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं कांग्रेस ने मोहनलाल बासुमाता को अपने उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस को पांच साल पहले करीब साढ़े नौ फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

तृणमूल ने अलीपुरद्वार की छह विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि भाजपा 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में एक सीट हथियाने में सफल रही थी।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)