मैं एक महिला फिल्मकार की अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं लेती हूं : रोहेना

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मुंबई, 19 मार्च (आईएएनएस)| साल 2018 में कान फिल्म फेस्टिवल में रोहेना गेरा के ‘सर’ को इंटरनेशनल क्रिटिक्स वीक कलेक्शन में प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया था। इसी साल नंदिता दास की ‘मंटो’ भी फेस्टिवल के अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन के लिए चयनित हुई थी। यह असाधारण और दिलचस्प साल था, जब भारत की दो महिला फिल्मकारों को प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में चयनित होने का सम्मान मिला था।

वहीं गेरा का कहना है कि वह किसी समूह का प्रतिनिधित्व करने के दौरान अतिरिक्त जिम्मेदारियां नहीं निभाती हैं।


वहीं उनसे पूछे जाने पर कि क्या हाल फिलहाल में महिला फिल्मकारों ने हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों की छवि बदलने में योगदान दिया है, इस पर रोहेना ने कहा, “हां मेरा बिल्कुल ऐसा मानना है, क्योंकि एक महिला के तौर पर मुझे यह सोचने की जरूरत नहीं है कि मैं फिल्म में महिला किरदार को दिलचस्प तरीके से चित्रित करूं। मैं खुद ही ऐसा करूंगी, क्योंकि एक महिला के रूप में हम अनुभव से कुछ बारीकियों और जटिलता को समझते हैं। हम इसे ठीक कर लेते हैं। इसलिए यदि हम अपने जीवन की वास्तविकता और उन लोगों के प्रति ईमानदार हैं, जिन्हें हम जानते हैं, हम स्वाभाविक रूप से उनकी कुछ बारीकियों को जोड़ेंगे। इसलिए हम आज के दौर में जो चीजें बदलते हुए देख रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि अब महिलाएं अपनी आवाज उठा रही हैं।”

वहीं उनसे पूछे जाने पर कि क्या महिला फिल्मकार के तौर पर वह अतिरिक्त जिम्मेदारियां लेती हैं? इस पर उन्होंने कहा, “एक महिला फिल्मकार बनने के दौरान मुझे अतिरिक्त जिम्मेदारियों के बारे में सोचना पसंद नहीं है। मैं बस सोचती हूं कि मैं एक महिला हूं, जिसे लेकर कई कहानियां हैं, और मुझे उन्हें सामने लाना है, क्योंकि वो मेरे लिए मायने रखती हैं। यह कहने के बाद मैं श्रेणियों के हिसाब से काम करना नहीं चाहती हूं। दर्शक के तौर पर मैं फिल्मकार के लिंग के बारे में नहीं सोचती हूं, बल्कि फिल्म के बारे में सोचती हूं। मेरी पसंद, नापसंद फिल्मकार के लिंग पर आधारित नहीं रहता है।”

 


(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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