Manna Dey Death Anniversary: जिस इकलौती फिल्म को महात्मा गांधी ने देखी थी, उसी से मन्ना डे ने अपने करियर की शुरुआत की थी

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Manna Dey Death Anniversary: जिस इकलौती फिल्म को महात्मा गांधी ने देखी थी, उसी से मन्ना डे ने अपने करियर की शुरुआत की थी

मन्ना डे (Manna Dey) का जन्म कोलकाता में 1 मई 1919 को महामाया व पूरन चन्द्र डे के यहाँ हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दु बाबुर पाठशाला से पूरी करने के पश्चात स्कॉटिश चर्च कॉलेज में प्रवेश लिया था।

मन्ना दा कॉलेज के दिनों से ही कुश्ती और मुक्केबाजी जैसी प्रतियोगिताओं में खूब भाग लेते थे। उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे। उन्होंने विद्यासागर कॉलेज से स्नातक किया। कुश्ती के साथ मन्ना फुटबॉल के भी काफी शौकीन हुआ करते थे।


साल 1942 में मन्ना डे ने फिल्म तमन्ना (Tamanna) से अपने संगीत के करियर की शुरुआत की थी। यही इकलौती फिल्म थी जिसे महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने देखा था। बॉलीवुड के मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी ने एक बार उनके बारे में कहा था – “आप लोग मेरे गीत को सुनते हैं लेकिन अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं कहूंगा कि मैं मन्ना डे के गीतों को ही सुनता हूं।”

मन्ना दा की आवाज में एक अलग सी उदासी रहती थी। उनकी यही उदासी उन्हें और गायकों से अलग बनाती थी। उन्होंने अपने करियर में लगभग 148 फिल्मों के 4 हज़ार गानों में अपनी आवाज़ दी थी।

मन्ना दा संगीत को लेकर काफी गंभीर हुआ करते थे। उनकी इसी गंभीरता के कारण एक बार पड़ोसन फिल्म के गाने ‘इक चतुर नार बड़ी होशियार’ के दौरान उनकी नोक झोक किशोर कुमार से भी हो गई थी। लाख समझाने के बाद भी उन्होंने वो गाना वैसे ही गाया जैसा वो गाना चाहते थे।


भारत सरकार ने मन्ना डे को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिये सन् 1971 में पद्म श्री सम्मान और 2005 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा था। इसके अतिरिक्त फिल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए सन् 2007 में उन्हें फिल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भी प्रदान किया था।

मन्ना दा ने तमन्ना (1942), गीत गोविंद (1947), कुर्बानी (1952), देवदास (1955), सौदागर (1973), जंजीर (1973), शोर (1972) और लावारिश (1981) जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी थी।

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