70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने पिछले एक साल में वस्तुओं के ऊंची कीमत के प्रभाव को महसूस किया है। यह बात आईएएनएस-सीवोटर प्री-बजट सर्वे से सामने आई।
सर्वेक्षण से पता चला कि 38.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि पिछले एक साल में मुद्रास्फीति की वजह से उनके जीवन की गुणवत्ता बहुत अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है, और 34.9 प्रतिशत ने कहा कि इसा थोड़ा बहुत ही प्रभाव पड़ा है।
हालांकि, 26.7 प्रतिशत लोगों ने उच्च महंगाई का कोई भी प्रभाव महसूस नहीं किया है।
2020 के अधिकतर समय में, खाद्य पदार्थो और ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से मुद्रास्फीति बनी रही।
यह मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं का ही प्रभाव है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान तेज कटौती के बाद उधार दरों को बरकरार रखा है।
हालांकि, खुदरा और थोक महंगाई दर दिसंबर में कम हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.59 प्रतिशत रह गई, जो पिछले साल नवंबर में 6.93 प्रतिशत थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में कमी खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण आई है।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) पिछले महीने के लिए 3.41 प्रतिशत पर आ गया, जो नवंबर 2020 में 9.50 प्रतिशत था।
खाद्य मुद्रास्फीति कम होने से दिसंबर की थोक मुद्रास्फीति भी घटकर 1.22 प्रतिशत रह गई।
–आईएएनएस