मप्र : जलसंकट पर भाजपा-कांग्रेस गंभीर नहीं

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भोपाल, 22 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने ‘वचनपत्र’ और भारतीय जनता पार्टी ने ‘दृष्टिपत्र’ जारी किया है, मगर इन दलों ने सत्ता में आने पर प्रदेश के पेयजल संकट के सार्थक निदान के लिए कोई खास पहल की बात नहीं कही है। सत्ताधारी भाजपा के दृष्टि पत्र और कांग्रेस के वचन-पत्र (चुनावी घोषणा) का विश्लेषण करने के बाद तस्वीर जो सामने निकलकर आई है, वह जलसंकट के मुद्दे पर बहुत ही निराशाजनक और असंवेदनशील रवैये को जाहिर करती है।

मध्य प्रदेश भारत का वह राज्य है, जिसका एक बड़ा इलाका जल संकट ग्रस्त रहता है, राज्य में बुंदेलखंड क्षेत्र का भी एक बड़ा हिस्सा आता है, इसी तरह से महाकौशल, विध्य और चंबल संभाग भी जल संकटग्रस्त क्षेत्र है। इन इलाकों में साल के छह माह से अधिक समय गंभीर जल संकट रहता है। इस वर्ष तो राज्य के 52 जिलों में से 35 से अधिक जिले जल संकटग्रस्त थे, पानी के लिए चारों तरफ हाहाकार मचा था। लोग रात-रात भर जागकर पीने के पानी का इंतजाम कर रहे थे।


राज्य के हालात और जलसंकट का जिक्र करें तो सिचाई के अभाव में मध्यप्रदेश का एक बड़ा इलाका बंजर पड़ा हुआ है। किसान और मजदूर एवं समाज के सभी वर्गो के लोग बढ़ते जलसंकट से त्रस्त रहे।

पानी संरक्षण के लिए दो दशक से काम कर रहे समाजसेवी और जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिह ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मध्यप्रदेश भारत का वह राज्य है, जहां सबसे अधिक छोटी नदियां पाई जाती हैं। प्रदेश में सर्वाधिक सिचाई सतही जल से होती है, प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार अधिकांश हिस्सा पठारी और असमतल है, भूगर्भीय जल का स्तर अत्यधिक गहरा है। जनवरी के बाद से अंधिकाश जलस्रोत या तो पानी देना बंद कर देते हैं या सूख जाते हैं। इसके बाद पूरे गíमयों के मौसम में पेयजल की गंभीर किल्लत रहती है, इसके बावजूद भी राजनीतिक दलों को चुनाव में जल संकट कोई मुद्दा दिखाई नहीं दिया।”

सिंह ने दोनों दलों के चुनाव पूर्व जारी ‘वचनपत्र’ और ‘दृष्टिपत्र’ का अध्ययन करने के बाद कहा, “राजनीतिक दलों में जल के प्रति इस तरह के उपेक्षित व्यवहार से हर कोई आहत है।”


उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा जल के प्रति इस तरह के उदासीन रवैये को वे जनता के बीच में ले जाएंगे और जनता को जागरूक करेंगे कि ऐसे राजनीतिक दल, जो पानी के मुद्दे पर उदासीन हैं, उन्हें चुनाव में सबक सिखाएं।

भाजपा ने सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने के साथ नल-जल योजना का जिक्र किया है, मगर इसका खाका नहीं खींचा है कि घरों तक पानी पहुंचाने के लिए किस तरह इस योजना पर अमल किया जाएगा। वहीं कांग्रेस ने बुंदेलखंड पैकेज के दुरुपयोग का तो आरोप लगाया है, मगर निदान पर जोर नहीं दिया है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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