नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस के कर्मी मंगलवार को ‘वी वांट जस्टिस’ और ‘हमारा सीपी (पुलिस कमिश्नर) कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’ के नारे लगा रहे थे। उन्होंने अपने वरिष्ठों के शांत करने की कोशिश को नकार दिया, क्योंकि वे एक दिन पहले अपने सहयोगियों की वकीलों द्वारा पिटाई किए जाने पर अपना गुस्सा निकालने के लिए जमा हुए थे।
आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जमा हुए सैंकड़ों पुलिसकर्मियों ने पूरी तरह सड़क जाम कर लिया और व्यस्त चौराहे पर यातायात अवरुद्ध हो गया। इसमें महिलाएं भी वर्दी व सादे कपड़ों में थीं।
उनके साथ पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब के पुलिसकर्मी भी शामिल हो गए। इसमें सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी भी थे। वे शनिवार को हुई हिंसा के बाद साकेत व तीस हजारी कोर्ट में कुछ वकीलों द्वारा पुलिसकर्मियों को पीटे जाने पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे। शनिवार को कथित तौर पर पार्किं ग विवाद को लेकर पुलिस व वकीलों के बीच हिंसा हुई, जिसमें दोनों पक्षों को चोटें आईं।
जैसे ही संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण रेंज) देवेश श्रीवास्तव ने विरोध प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों से बातचीत शुरू की, उन्होंने शोरगुल करना शुरू कर दिया और ‘गो बैक, गो बैंक’ के नारे लगाने लगे।
श्रीवास्तव ने भरोसा दिया कि उनकी सभी मांगें पूरी की जाएंगी और साकेत व तीस हजारी कोर्ट की घटनाओं के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने यह भी वादा किया कि विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी।
जनता से समर्थन की अपील करता हुआ दिल्ली पुलिस का बैनर आईटीओ पुलिस मुख्यालय के बाहर लगा था। इस पर लिखा था, “विद यू फॉर यू आलवेज” साथ ही में लिखा था, ‘लेकिन इस बार हमें आपकी मदद की जरूरत है।’
प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों ने तत्काल निलंबन आदेश वापस लेने की मांग की और वे साफ तौर पर पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से नाराज थे, जो इससे पहले अधिकारियों से उनके प्रदर्शन को वापस लेने का आग्रह कर चुके थे।
वहां पटनायक के खिलाफ भी नारे लगाए गए, ‘पुलिस कमिश्नर हाय, हाय।’
पुलिस अधिकारियों ने पुलिस यूनियन के गठन की भी मांग की।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में हुई घटना पर गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है। तीस हजारी कोर्ट में हुई घटना में पुलिस व वकीलों में से कई घायल हो गए।
उन्होंने पुलिस अधिकारियों के निलंबन को तत्काल वापस लेने की मांग उठाई।
इस घटना ने पुलिसकर्मियों को किरण बेदी की भी याद दिला दी, जब उन्होंने 1988 की एक घटना में वकीलों के खिलाफ अपने पुलिस बल का खुलकर साथ दिया था।
1988 की घटना के दौरान तत्कालीन पुलिस उपायुक्त किरण बेदी ने वकीलों का सामना किया, जो चोरी के संदेह में एक वकील को हथकड़ी लगाए जाने का विरोध कर रहे थे।
17 फरवरी, 1988 को करीब 3,000 लोगों की हिंसक भीड़ तीस हजारी कोर्ट परिसर पहुंची और वकीलों के वाहनों व कार्यालयों को उसने नष्ट कर दिया था। वकीलों ने आरोप लगाया था कि हिंसा वकीलों की हड़ताल के खिलाफ बेदी द्वारा कराई गई थी।