National Human Trafficking Awareness Day: जानिए कितना घातक होता है ह्यूमन ट्रैफिकिंग

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National Human Trafficking Awareness Day: पूरे देश में मानव तस्करी (Human Trafficking) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। तस्करी के धंधे में लगे दलाल लाखों की कमाई कर रहे हैं। शहर में मॉडल टाउन और सेक्टरों में 250 से ज्यादा किशोर बच्चियां घरों में झाडू-पोछा कर रही हैं। इस धंधे में दिल्ली के प्लेसमेंट एजेंसियों के एजेंट सक्रिय हैं और जमकर पैसे कमा रहे हैं।

एनसीआरबी के मुताबिक साल 2016 में भारत में आईपीसी के तहत ह्यूमन ट्रैफिकिंग के 5217 मामले दर्ज किए गए थे। 2017 में यह संख्या घट कर 2,854 हो गई और इसके अगले साल यानी 2018 में और कम हो कर 1830 पर आ गई। दिक्कत यह है कि इन आंकड़ों से इस बात का पता नहीं चलता कि यह बेहतरी आखिर कैसे हासिल की जा रही है। यहीं हमारा सामना इस संदेह से होता है कि कहीं इसके पीछे यह कड़वी हकीकत तो नहीं कि किन्हीं कारणों से मानव तस्करी के मामले दर्ज ही कम हो पा रहे हैं। परिस्थितिजन्य साक्ष्य इस संदेह को मजबूती देते हैं।


देश-विदेश के लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। श्रम शोषण और यौन शोषण की स्थितियां ज्यों की त्यों हैं। बेशक, एक राज्य सरकार ने पिछले साल मुजफ्फरपुर शेल्टर हाउस कांड जैसे चर्चित मामले में चुस्ती दिखाई, लेकिन मामला उजागर करने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। भारत में कमजोर तबकों के शोषण को लेकर यहां की कानून-व्यवस्था की सक्रियता का अंदाजा इस बात से मिलता है कि 1976 से अब तक सरकारी तौर पर करीब 3 लाख 13 हजार बंधुआ मजदूरों की ही पहचान हो पाई है जबकि इस काम में लगे स्वयंसेवी संगठनों के मुताबिक देश में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के पीड़ितों की संख्या कम से कम 80 लाख है, जिनका बड़ा हिस्सा बंधुआ मजदूरों का है।

रिपोर्ट में मामले का एक और पहलू यह उभर कर आया है कि पुलिस अक्सर पीड़ितों के खिलाफ उन कार्यों में भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर देती है, जो ट्रैफिकर उनसे जबरन करवाते हैं। इससे एक तरफ पीड़ितों के कानून-व्यवस्था की शरण में आने की संभावना कम होती है, दूसरी तरफ ट्रैफिकर्स का शिकंजा उन पर और कस जाता है।

शारीरिक शोषण और देह व्यापार से लेकर बंधुआ मज़दूरी तक के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाती है।

– ड्रग्स और हथियारों के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्गनाइज़्ड क्राइम है.


– 80% मानव तस्करी जिस्मफ़रोशी के लिए होती है.

– एशिया की अगर बात करें, तो भारत इस तरह के अपराध का गढ़ माना जाता है.

– ऐसे में हमारे लिए यह सोचने का विषय है कि किस तरह से हमें इस समस्या से निपटना है.

– मानव तस्करी में अधिकांश बच्चे बेहद ग़रीब इलाकों के होते हैं.

– मानव तस्करी में सबसे ज़्यादा बच्चियां भारत के पूर्वी इलाकों के अंदरूनी गांवों से आती हैं.

– अत्यधिक ग़रीबी, शिक्षा की कमी और सरकारी नीतियों का ठीक से लागू न होना ही बच्चियों को मानव तस्करी का शिकार बनने की सबसे बड़ी वजह बनता है.

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