हर साल 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता हैं। इस मौके पर दुनियाभर में रैलियां, मार्च, विचार-गोष्टी इत्यादि आयोजित होते हैं और महिला विषयों पर बात होती है। भारत में भी इस अवसर पर अनेक तरह के कार्यक्रम होते हैं। भारत में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन कर रहीं हैं, कोई भी देश अपनी आधी आबादी की उपेक्षा कर विकास के पूर्ण लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकता। मगर देश की महिलाओं को बराबरी के लिए अभी लंबा सफर तय करना है, यह संघर्ष लगातार जारी है।
महिला दिवस पर हम बात कर रहे हैं विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की। अभी भी सियासी पार्टीयों के लिए महिला प्रतिनिधित्व सियासी मुद्दा नहीं बन पाया है। हमारे देश में महिला आरक्षण बिल 2011 में राज्य सभा में पारित होने के बाद राजनीतिक दलों की असहमति और आपत्तियों के कारण लोकसभा में पारित नही हो पाया है और सियासी दलो के रुखे रवैये के कारण ठंडे बस्ते में चला गया हैं। इसके कारण महिलाओं के लिए देश की संसद और राज्यों के विधानसभाओं में 33% आरक्षण का रास्ता साफ नहीं हो पाया है। अगर संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा तो निश्चित रूप से देश में महिलाओं का सशक्तीकरण होगा। आधी आबादी ने हर मौके पर अपनी काबिलियत साबित की है।
महिला प्रतिनिधित्व की बात करें तो देश के कई राज्य हैं जहां अभी एक भी महिला को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। ये आंकड़े निराश करने वाले हैं जहां विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा आधी आबादी पर भरोसा न करना एक गम्भीर सवाल खड़ा करता हैं ।
ये राज्य हैं जहां एक भी महिला मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है
1.बिहार
2.दिल्ली
3.तेलंगाना
4.मिजोरम
5.नागालैंड
6.अरूणाचल प्रदेश
7.मेघालय
8.गोवा
इतिहास में 8 मार्च- आज है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, पहली बार 1911 में यूरोप में मनाया गया