किसानों को अपनी उपज कहीं पर और किसी को भी बेचने की मिली आजादी: प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के दौरान संसद में पास हुए तीन बिलों से किसानों को होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की। बताया कि अब किसानों को अपनी उपज को देश में कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में भी कृषि क्षेत्र के दमखम दिखाने की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो जमीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े से बड़े तूफानों से भी उतना अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमखम दिखाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि बिलों को लेकर कहा, फल-सब्जियों के अतिरिक्त किसान अपने खेत में, जो कुछ पैदा कर रहे हैं, धान, गेहूं, सरसों, गन्ना उसको अपनी इच्छा अनुसार जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर बेचने की आजादी मिल गई है। 3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन किसानों के अपने फल-सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियां मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा के सोनीपत जिले के किसान कंवर चौहान का अनुभव सुनाते हुए बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियां बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियां तक जब्त हो जाती थीं। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आसपास के सभी किसानों को बहुत फायदा हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज गांव के किसान स्वीट कार्न और बेबी कार्न की खेती से, ढाई से तीन लाख रुपए प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं।


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