Prasoon Joshi Birthday: वो शख्स जिसने पूरी दुनियाँ को बताया ‘ठंडा मतलब कोका कोला’

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Prasoon Joshi Birthday: वो शख्स जिसने पूरी दुनियाँ को बताया 'ठंडा मतलब कोका कोला'

Prasoon Joshi Birthday: वर्षों पहले एक विज्ञापन आया करता था। जिसका स्लोगन था ” ठंडा मतलब कोका कोला”। यह कोका कोला (coca cola) का विज्ञापन था। इस विज्ञापन को लिखने वाले शख्स थे प्रसून जोशी। कहा जाता है कि इस विज्ञापन का ख्याल प्रसून को ट्रेन में सफर करते वक़्त आया था। आज भी यह विज्ञापन कुछ बेहतरीन विज्ञापनों में शुमार है। कुछ ऐसी ही बेहतरीन रचनाओं के मालिक हैं प्रसून जोशी।

प्रसून जोशी (Prasoon Joshi ) का जन्म 16 सितंबर 1968 को उत्तराखंड (Uttarakhand) में हुआ था। प्रसून पेशे से कवि, लेखक, गीतकार और पटकथा लेखक हैं। इसके अलावा कुछ वर्ष पहले प्रसून को सेंसर बोर्ड ( Censor Board ) का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था। प्रसून को फ़िल्म ‘तारे ज़मीन पर’ (Tare Zameen Par) में लिखे गाने ‘माँ’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (National Award) से भी नवाजा जा चुका है।


प्रसून को हिंदी से बेहद लगाव है। एक साक्षात्कार में प्रसून ने कहा था कि ” हिंदी हमारी ज़रूरत होनी चाहिए, हमें उसपर गर्व होना चाहिए। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम दूसरी भाषा न सीखें। हम अन्य भाषाओं जैसे अंग्रेजी को कौशल के तौर पर सीख सकते हैं और सीखना भी चाहिए”।

एक और किस्सा प्रसून का बेहद मशहूर है कि जब उन्होंने आमिर खान (Aamir Khan) से तारे ज़मीन पर फ़िल्म के लिए लिखे गीत ‘खो न जाएं ये तारे ज़मीन पर’ के लिए ये वादा करवाया था कि उनके लिखे इस गीत से एक भी शब्द हटाए नहीं जाने चाहिए। आमिर ने उनकी ये शर्त मानी भी थी।

प्रसून ने एक से बढ़ कर एक गीत और डायलॉग्स लिखें हैं। उन्होंने आमिर के शो सत्यमेव जयते का टाइटल सांग भी लिखा है।


प्रसून जोशी ने वर्ष 2017 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) का लंदन में लगभग 2 घण्टा साक्षात्कार लिया था। इसके बाद प्रसून खासा चर्चा में आ गए थे।

Prasoon Joshi Birthday: प्रसून जोशी की लिखी कविता के कुछ अंश-

मुमकिन है
बंजर धरती के सीने पर
पैर पटक के नन्हा अंकुर
एक हरी-सी जिद पर उतरे
मुमकिन है
सूरज मुट्ठी के अंदर हो
और दरारों से उंगली की

छलक रोशनी फर्श पे बिखरे
मुमकिन है
पर्वत के माथे से उतरे
एक पगडंडी बने विशाल
नदी सागर से मिलने जाए
मुमकिन है
रात अंधेरी किसी सड़क पर
एक लैंप के नीचे कोई
सपनों के पन्ने पलटाए
और तकदीर पे हंसता जाए
मुमकिन है
हाथ बढ़ाना बादल छूना
और निचोड़ के एक बादल से
होंठ भिगोना
मुमकिन है
एक सच्चे से सुर की उंगली
थाम के बढ़ना
और नवेली सरगम गाना
मुमकिन है
एक दीपक का
तूफानों से

आओ खेलें कहकर
मस्ती में लहराना
मुमकिन है
आंख हजारों पर एक सपना
मुमकिन है
प्यास हजारों पर एक बारिश
मुमकिन है
मुमकिन है।

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