CAA के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन के बाद सरकार ने दिया स्पष्टीकरण

  • Follow Newsd Hindi On  
CAA के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन के बाद सरकार ने दिया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली | नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बाद सरकार ने एक बार फिर सफाई दी है। सरकार ने अपनी सफाई पीआईबी के ट्विटर हैंडल पर प्रश्न-उत्तर के रूप में दी है। पीआईबी ने गुरुवार को स्पष्टीकरण में कहा, “सीएए किसी भी विदेशी को नागरिकता कानून, 1955 के अंतर्गत भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता। नागरिकता अधिनियम, 1955 की संबंधित धाराओं में दी गई योग्यताओं का पालन करने पर बलूच, अहमदिया और रोहिंग्या भी कभी भी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।”


बयान के अनुसार, “सीएए में इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कथित समुदायों और देशों के सिर्फ कुछ ऐसे शरणार्थियों को सीएए से लाभ होगा, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है या उनके दस्तावेज की तिथि समाप्त हो चुकी है और धार्मिक कारणों से वे भारत में दिसंबर 2014 से पहले से रह रहे हैं। उन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 में ‘अवैध प्रवासियों’ की परिभाषा से बाहर रखा गया है। अन्य विदेशियों के विपरीत वे कुल छह साल भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता पाने के हकदार हैं। अन्य विदेशियों के लिए यह अवधि 12 साल है।”

इस प्रश्न पर कि क्या संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत शरणार्थियों की रक्षा करना भारत का कर्तत्व नहीं है? सरकार ने कहा है कि हां, उसका कर्तव्य है।

भारत सरकार ने कहा, “और हम इससे पीछे भी नहीं हट रहे हैं। भारत में इस समय दो लाख से ज्यादा श्रीलंकाई तमिल और तिब्बती तथा 15,000 से ज्यादा अफगानी, 20-25 हजार रोहिंग्या और कुछ हजार अन्य देशों के शरणार्थी रह रहे हैं। उम्मीद है कि किसी दिन ये शरणार्थी अपने घर लौट जाएंगे, जब वहां स्थिति बेहतर होगी। भारत शरणार्थियों पर 1951 के संयुक्त राष्ट्र संकल्प और 1967 में हुए संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। दूसरी बात, भारत ऐसे नागरिकों को अपनी नागरिकता देने के लिए बाध्य नहीं है। भारत समेत हर देश के अपने नियम हैं।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)