तमिलनाडु सरकार ने शराब की दुकानों को बंद रखने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

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तमिलनाडु सरकार ने कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण लागू लॉकडाउन के खत्म होने तक शराब की दुकानों को बंद रखने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

शराब की दुकानों को बंद रखने का निर्देश हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को राज्य के स्वामित्व वाली तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (टीएएसएमएसी) को दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे लॉकडाउन के बीच सामाजिक दूरी के अनुपालन को बरकरार रखते हुए शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी के विकल्प पर विचार करे।


राज्य सरकार ने याचिका में कहा कि शीर्ष अदालत ने शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि राज्य के क्षेत्र में यह एक नीतिगत मामला है।

शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया, “हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा पारित 8 मई के आदेश की गलत व्याख्या की, जिसमें अदालत ने राज्यों को निर्देश देने से इनकार कर दिया कि वे लॉकडाउन में शराब स्टोरों को बंद कर दें और शराब की ऑनलाइन बिक्री/होम डिलिवरी सहित नॉन-डायरेक्ट बिक्री पर विचार करना प्रत्येक राज्य के विवेक पर छोड़ दें।”

हाईकोर्ट में विनीत कोठारी और पुष्पा सत्यनारायण की खंडपीठ ने शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारों और भीड़ को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन लागू रहने तक तमिलनाडु में शराब की दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया।


हाईकोर्ट ने पाया कि लोगों ने शराब बेचने वाली टीएएसएमएसी की दुकानों के बाहर भीड़ को संभालने वाली शर्तो का उल्लंघन किया।

अदालत ने कहा कि राज्य भर में लगभग 3,850 दुकानें खोली गईं और रिकॉर्ड 175 करोड़ रुपये की शराब बिक्री की गई। यह भी पाया गया है कि कोरोना से संक्रमित होने वाले पुलिस कर्मियों की संख्या भी बढ़ रही है और टीएएसएमएसी की दुकानों के सामने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उन्हें तैनात करना भी उनके जीवन को खतरे में डाल देगा।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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