Tripura Foundation Day 2021: 1972 में आज के दिन मिला था त्रिपुरा को राज्य का दर्जा, जानें पूरा इतिहास

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Tripura Foundation Day 2021: भारत के इतिहास (History of india) में आज का बहुत खास है क्योंकि आज ही के दिन 1972 में तीन नए राज्यों को दर्जा प्राप्त हुआ था। इस दिन मणिपुर (Manipur), मेघालय (Meghalaya) और त्रिपुरा (Tripura) के रूप में तीन राज्यों का उदय हुआ था। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur), मेघालय (Meghalaya) और त्रिपुरा (Tripura) को अलग राज्य बने आज पूरे 49 साल हो गए हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम 1971 के तहत मणिपुर (Manipur), मेघालय (Meghalaya) और त्रिपुरा (Tripura) को 21 जनवरी 1972 को अलग राज्य का दर्जा दे दिया गया था।


हम बात करते हैं त्रिपुरा (Tripura) के बारे में, भारत के उत्तर पूर्वी सीमा के सात राज्यों में त्रिपुरा (Tripura) भी शामिल है। त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। इस राज्य के उत्तर पश्चिम और दक्षिण दिशा में बांग्लादेश है। राज्य के पूर्वी इलाके में मिजोरम और आसाम है। अगरतला त्रिपुरा (Tripura) की राजधानी है।

त्रिपुरा राज्य का इतिहास – Tripura History

महाभारत, कई सारे धार्मिक पुराण और अशोक सम्राट के समय में मिले शिलालेख में भी त्रिपुरा का वर्णन किया गया है। प्राचीन समय में त्रिपुरा को किरात देश कहा जाता था क्यों की एक समय मे यहापर किरात राज्य हुआ करता था। 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद में टिप्पेरा जिला पूर्व पाकिस्तान के कब्जे में चला गया था और 1949 तक टिप्पेरा पहाड़ी रीजेंसी कौंसिल के हात में ही थी।

9 सितम्बर 1949 को त्रिपुरा की महारानी ने भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके कारण यह भारत का पार्ट सी राज्य बना दिया गया। नवम्बर 1956 में इसे बिना किसी नियम बनाये देश का केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था और जुलाई 1963 में इसका मंत्रिमंडल भी चुना गया था। 21 जनवरी 1972 को तीन नए राज्यों का निर्माण किया गया।


त्रिपुरा राज्य की संस्कृति – Culture of Tripura State

त्रिपुरा की संस्कृति काफी समृद्ध है। इस राज्य में करीब 19 जनजातीय है और आज भी जंगलो में रहना पसंद करती है। त्रिपुरी, रंग, चकमा, गारो, कुकी, उचोई, मणिपुरी और मिज़ो जैसी जनजातीय आज भी अधिकतर जंगलो में रहना पसंद करती है।

यहा पर अधिकतर बंगाली हिन्दू लोग अधिक संख्या में रहते है और त्रिपुरा की संस्कृति पर बगांली हिन्दू लोगो का ज्यादातर प्रभाव भी देखने को मिलता है क्यों की यहापर एक समय में त्रिपुरी राजा के दरबार में बंगाली साहित्य और बंगाली भाषा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता था। आज इस राज्य में हिन्दू, मुस्लीम, बौद्ध और ख्रिश्चन सभी धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रहते है।

त्रिपुरा राज्य का पर्यटन – Tourism of Tripura State

त्रिपुरा जैसे छोटेसे राज्य में देखने जैसे कई सारी जगह है जो पर्यटन का मुख्य आकर्षण बन चुकी है। यहापर कई सारे शानदार महल (अगरतला के उज्जयानता महल और कुंजबन महल, मेलाघर का नीरमहल जल सरोवर), पत्थर पर नक्काशी की बनायीं गयी मुर्तिया (कैलाशाहर के नजदीक की उनकोती, अमरपुर के नजदीक की देब्तापुरा और बेलोनिया की पिलाक) और उदयपुर का माता त्रिपुरिश्वरी मंदिर (51 पिठस्थानो में से एक) है।

यहा पर कई सारे जल सरोवर भी है जैसे की जिनमे कुछ प्राकृतिक है और कुछ लोगो ने खुद बनाये है। गंदाचेरा का दुम्बूर सरोवर, मेलाघर का रुद्रसागर सरोवर, अमरसागर, जगन्नाथ दिघी, उदयपुर का कल्याण सागर आदि। यहाँ पर कई सारे पहाड़ी इलाके भी जिन्हें देखने के लिए लोग काफी दूर से आते है जैसे की मिजोरम की सीमा पर स्थित जामपुई पहाड़ी, सिपहिजाला का अभयारण्य, गुमटी, रोवा और तृषा।

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