Union Budget 2019 : जानिए देश के पहले बजट से अब तक का इतिहास, इससे जुड़ी रोचक बातें

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बजट शब्द से हर व्यक्ति रूबरू है। यूं तो हर घर और संस्था का अपना बजट होता है, लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। बजट में वार्षिक खर्च के साथ ही विभिन्न प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए होने वाले खर्च का भी उल्लेख होता है। बजट को लागू करने से पहले उसे संसद के दोनों सदनों में पारित करवाना भी जरूरी है।

आपको बता दें कि नई सरकार के पहले बजट की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। वित्त मंत्रालय ने हलवा रस्म के साथ इसकी शुरुआत कर दी है। मोदी सरकार पांच जुलाई को 2019-20 का पूर्ण बजट पेश करेगी।  भारत में बजट पेश करने का इतिहास 150 साल से अधिक पुराना है। इतने वर्षों में बजट पेश करने के तौर-तरीके में कई बदलाव हुए हैं।


Union Budget 2019 : जानिए देश के पहले बजट से अब तक का इतिहास, इससे जुड़ी रोचक बातें

आइए इन 10 बिंदुओं से जानते हैं बजट का इतिहास..

1. बजट शब्द की उत्पत्ति

दरअसल बजट शब्द लैटिन शब्द बुल्गा से लिया गया है। बुल्गा का अर्थ है चमड़े का थैला। इसी से बाद में फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट बना। इसके बाद अस्तित्व में आया अंग्रेजी शब्द बोगेट या बोजेट, फिर यही शब्द बजट बना। जिसे अब प्रयोग किया जा रहा है।


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2.बजट की शुरुआत

भारत में पहला बजट जेम्स विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को पेश किया था। जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का संस्थापक भी कहा जाता है। भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाला वित्तीय वर्ष 1867 से शुरू हुआ। इससे पहले तक 1 मई से 30 अप्रैल तक का वित्तीय वर्ष होता था।

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3.स्वतंत्र भारत का पहला बजट

स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्तमंत्री आरके षणमुखम शेट्टी (चेट्‍टी) ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था, जबकि गणतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया था। षणमुखम शेट्‍टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार अंतरिम शब्द का प्रयोग किया, तब से लघु अवधि के बजट के लिए ‘अंतरिम’ शब्द का इस्तेमाल शुरू हुआ। सीडी देशमुख वित्तमंत्री होने के साथ रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर भी थे।

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4.सबसे अधिक बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री

मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक 10 बार देश का बजट पेश किया। दूसरे नंबर पर पी. चिदंबरम हैं, जिन्हें 8 बार यह अवसर मिला। इसके बाद प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख ने 7-7 बार संसद में देश का बजट पेश किया।

5.बजट की गोपनीयता

बजट छपने के लिए भेजे जाने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के संबधित अधिकारी किसी के संपर्क में नहीं रहते। इस दौरान वे परिवार से भी दूर रहते हैं और वित्त मंत्रालय में ही रुकते हैं। गोपनीयता बरतने के लिए इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक में पॉवरफुल मोबाइल जैमर भी लगाया जाता है, ताकि जानकारियां लीक न हो सकें।

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6.जब प्रधानमंत्री ने पेश किया था बजट

1958-59 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बजट पेश किया, उस समय वित्त मंत्रालय उनके पास था। नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया।

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7.समय में बदलाव

साल 2000 तक केंद्रीय बजट की घोषणा शाम 5 बजे की जाती थी। यह अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा थी। इंग्लैंड के समय के अनुसार बजट पेश किया जाता था, जो कि भारत में शाम 5 बजे होता था। इस परंपरा को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने खत्म किया। यशवंत सिन्हा ने 2001 में 11 बजे दिन में बजट की घोषणा कर नई परंपरा शुरू की।

8.रेल बजट का विलय

पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था। मोदी सरकार ने 2017 में इस परंपरा को खत्म करते हुए रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया। इससे पहले 92 सालों तक दोनों बजट अलग-अलग पेश किए गए।

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9.बजट से पहले हलवा रस्म

बजट छपने के लिए भेजे जाने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के संबधित अधिकारी किसी के संपर्क में नहीं रहते परिवार से दूर उन्हें वित्त मंत्रालय में ही रुकना पड़ता है।

10.बजट की छपाई

बजट पेपर पहले राष्ट्रपति भवन में ही छापे जाते थे, लेकिन 1950 में पेपर लीक हो जाने के बाद से इन्हें मिंटो रोड स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा। 1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगे। शुरुआत में बजट अंग्रेजी में बनाया जाता था, लेकिन 1955-56 से बजट दस्तावेज हिन्दी में भी तैयार किए जाने लगे। 1955-56 में ही बजट में पहली बार कालाधन उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी।

 

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