UP Police Recruitment 2018: नागरिक पुलिस और पीएसी में कांस्टेबल भर्ती के मामले में महिला आरक्षियों के वर्ग में पदों के सापेक्ष ढाई गुना से अधिक अभ्यर्थी बुलाने और बिना वैध जाति प्रमाणपत्र के ओबीसी (OBC) कोटे में अभ्यर्थियों का चयन करने के मामले में राज्य सरकार तथा पुलिस भर्ती बोर्ड से इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High court) ने जानकारी मांगी है।
कई ओबीसी अभ्यिर्थियों ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। उनके अनुसार सभी चरणों में सफल होने के बावजूद उनका चयन नहीं हुआ। रुचि यादव व अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अजय भनोट ने इस मामले में राज्य सरकार तथा पुलिस भर्ती बोर्ड से जानकारी मांगी है।
याची के अधिवक्ता की मानें तो 2018 भर्ती में महिला आरक्षियों का 31360 पदों पर चयन होना था। याचीगण ने ओबीसी कोटे के तहत आवेदन किया। लिखित परीक्षा, दस्तावेज सत्यापन आदि में वह सफल रहीं। ओबीसी कोटे की कट ऑफ मेरिट 182.3272 थी जिसमें याचीगण सफल थी। अंतिम चरण में शारीरिक दक्षता परीक्षा होनी थी। बोर्ड ने विज्ञापन की शर्त के अनुसार पहले कुल पदों के सापेक्ष ढाई गुना अभ्यर्थियों को मेरिट के हिसाब से चयन हेतु बुलाया था।
बता दें कि शारीरिक दक्षता की परीक्षा दिसंबर 2019 से जनवरी 20 के बीच कराई गई थी। आठ जनवरी 2020 को बोर्ड ने एक विज्ञप्ति जारी की जिसमें योग्य महिला अभ्यर्थियों के न मिलने के कारण अतिरिक्त अभ्यर्थियों को बुलाए जाने की बात कही गई थी। इन सब के बाद बाद कट ऑफ मेरिट नीचे गिरा कर 167.3889 कर दी गई थी। अंतिम चयन का परिणाम 2 मार्च 2020 को जारी किया गया जिसमें याचीगण का चयन नहीं हुआ।
इसपर याचीगण का कहना था कि जब वह इससे ऊपर की कट ऑफ मेरिट में चयनित थी तो मेरिट नीचे लाने के बाद उनको किस प्रकार से चयन में बाहर कर दिया गया। चयन सूची में बहुत सी ऐसी अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है जिनके पास अप्रैल से दिसंबर 18 के बीच का ओबीसी जाति प्रमाणपत्र नहीं है।