कटोविस (पोलैंड), 5 दिसम्बर (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन को काबू करने से भारत और चीन को स्वास्थ्य को लेकर बड़े फायदे हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत को इससे 3.28-8.4 लाख करोड़ डॉलर का लाभ मिल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता का लक्ष्य हासिल होने से सिर्फ वायु प्रदूषण में कमी आने से दुनियाभर में 2050 तक 10 लाख लोगों की जान बच सकती है।
विशेषज्ञों के अनुमान से जो संकेत मिल रहे हैं उससे जलवायु संबंधी कार्यो से जो स्वास्थ्य संबंधी लाभ होगा उसका मूल्य वैश्विक स्तर पर राहत संबंधी नीतियों की लागत का दोगुना होगा। साथ ही लाभ और लागत का अनुपात चीन और भारत जैसे देशों में और भी ज्यादा होगा।
डब्ल्यूएचओ ने यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-24) में अपनी रिपोर्ट पेश की।
रिपोर्ट में इस बात को प्रमुखता से दर्शाया गया है कि जलवायु संबंधी कार्य की प्रगति और नीति नियंताओं के लिए प्रमुख सिफारिशों के प्रारूप के लिए स्वास्थ्य पर विचार करना क्यों आवश्यक है।
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा फायदा चीन और अमेरिका को होगा जिसने दो डिग्री सेल्सियस के बजाय 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य रखा है। इससे चीन में 0.27-2.31 लाख करोड़ डॉलर और भारत में 3.28-8.4 लाख करोड़ डॉलर का फायदा होगा।
दो फीसदी का लक्ष्य हासिल करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ से अन्य क्षेत्रों में भी लागत की भरपाई होगी।
डब्ल्यूएचओ की निदेशक (जन-स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के पर्यावरणीय व सामाजिक निर्धारक) मारियपा नीरा ने कहा, “जलवायु परिवर्तन का सही मायने में अहसास हमारे अस्पतालों और फेफड़ों में किया जाता है। ऊर्जा स्रोतों को प्रदूषित करने से स्वास्थ्य संबंधी दबाव अब इतना बढ़ गया है कि ऊर्जा आपूर्ति, परिवहन और खाद्य प्रणाली के लिए स्वत: प्रभावी ढंग से अधिक स्वच्छ और टिकाऊ मार्ग का चयन होने लगा है।”
अल्प कार्बन ऊर्जा स्रोतों को अपनाने से न सिर्फ वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि स्वास्थ्य संबंधी त्वरित फायदे के अतिरिक्त अवसर में मिलेंगे।