बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी सेना द्वारा किए गए मिसाइल हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर सहित आठ लोगों की मौत हो गई है। इस हमले में ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड की कुद्स फोर्स के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की भी मौत हो गई है। ताजा हमले के बाद अमेरिका और ईरान में तनाव और बढ़ने के आसार हैं।
कौन थे कासिम सुलेमानी
ईरान रिवॉलूशनरी गार्ड्स की विदेशों में काम करने वाली यूनिट कुद्स फोर्स का जिम्मा संभालने वाले कासिम को अमेरिका के बड़े दुश्मनों में शुमार किया जाता था। अमेरिका के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान के लिए वह कितना अहम थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि पश्चिम एशिया किसी भी मिशन को वही अंजाम देते थे।
4 दशकों से अमेरिका के लिए सिरदर्द थे कासिम सुलेमानी
खासतौर पर इराक में उनकी अहम भूमिका थी। बगदाद को इस्लामिक स्टेट के आतंक से बचाने के लिए उनके ही नेतृत्व में ईरान समर्थक फोर्स का गठन हुआ था, जिसका नाम पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स था। सुलेमानी अमेरिका के कितने पुराने दुश्मन थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग में उनकी अहम भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।
क्या है कुद्स फोर्स और कैसे हैं अमेरिका से संबंध
कुद्स फोर्स ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स की एक शाखा है जो देश के बाहर अभियानों को अंजाम देता है। इसका प्रमुख कासिम सुलेमानी सीधे तौर पर देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई के प्रति जवाबदेह था। 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में हुए सैन्य हमलों में इराक में सद्दाम हुसैन की सत्ता का अंत हो गया था। इसके बाद मध्यपूर्व में कुर्द सेना ने अपने अभियान तेज कर दिए थे।
कुद्स ने ईरान का समर्थन करने वाले दूसरे देशों के सरकार विरोधी गुटों को हथियार, पैसे और प्रशिक्षण देना शुरू किया। इसके अलावा युद्ध के गैर-पारंपरिक तरीको को अपनाना भी शुरू किया। जिसके कारण ईरान को पारंपरिक हथियारों पर निर्भर रहने वाले विरोधियों पर बढ़त मिली। जिसमें स्वार्म तकनीक (बड़ी सैन्य टुकड़ी के साथ अलग-अलग ठिकानों से लड़ना), ड्रोन का इस्तेमाल करना और साइबर हमले शामिल हैं।