गुजरात: लॉकडाउन में फंसे बिहार के मजदूरों ने फोन कर एसपी को दी गाली, जानें फिर क्या हुआ

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गुजरात: लॉकडाउन में फंसे बिहार के मजदूरों ने फोन कर एसपी को दी गाली, जानें फिर क्या हुआ

कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देशभर में तीन हफ्ते का लॉकडाउन घोषित किया गया है। इसके बावजूद कई लोग अपने-अपने घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। कई राज्‍यों से लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं और अपने गृह राज्य की सरकारों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे ही गुजरात के सूरत में फंसे बिहार के कुछ मजदूरों ने अपने नवादा जिले के एसपी को फोन कर गालियां दी। उन्होंने सोचा कि एसपी को गाली देंगे तो शायद जेल भेज दिए जाएंगे और वहां जिंदा रहने के लिए भोजन तो मिल ही जाएगा।

दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक, नवादा के एसपी के मोबाइल पर गुरुवार की शाम एक फोन आया। लेकिन, एसपी कुमार आशीष ने फोन उठाया तो कॉलर ने उन्हें अपशब्द कहना शुरू कर दिया। फोन पर गालियों की झड़ी पर एसपी ने अपना आपा नहीं खोया। उन्होंने कहा कि मैं समझ गया था कुछ तो वजह होगी… शायद वे बहुत परेशान हैं और उनकी हालत दयनीय होगी। मैंने विनम्रता से उनकी समस्या के बारे में पूछा तो पता चला कि कि वे लोग कुल आठ मजदूर हैं और बिहार के नवादा जिले से हैं, जो बिना पैसे के भोजन के अभाव में पिछले तीन दिनों गुजरात के सूरत में लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए है। जीवन से निराश हो चुके हैं। फोन करने वाले ने बताया कि सोचा एसपी को गाली देंगे तो शायद जेल ही भिजवा दें, जहां जिंदा रहने के लिए भोजन तो मिल ही जाएगा।


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एसपी ने कहा कि अच्छा लगता है। मदद करते रहना चाहिए। आप में जो भी क्षमता हो मानवता की सेवा होती रहनी चाहिए। ये मुश्किल घड़ी है, साथ ही एक अवसर है। इंसानियत को जिंदा रखने का।

सूरत के अधिकारी से करवाई मदद

एसपी के अनुसार समस्या मेरे जिले की नहीं थी। उनका नाम-पता पूछा और नवादा के डीएम यशपाल मीणा को मामले की जानकारी दी। यशपाल कुछ दिन पहले किशनगंज के डीसीसी थे और उन्होंने उनकी यथासंभव मदद करने का आश्वासन भी दिया। शुक्रवार सुबह बिहार के निवासी विभिन्न अधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से, मैंने सूरत में एक अधिकारी प्रमोद सर से इसी मामले में उन जरूरतमंदों की मदद की गुजारिश हेतु संपर्क किया।

उन्होंने फौरन वहां के अशोक केजरीवाल जी से कहा, जो झारखंड के निवासी हैं और वर्तमान में सूरत में व्यवसाय कर रहे हैं। वे उन सभी आठ मजदूरों को आवश्यक देखभाल के लिए सूरत में अपने फार्म हाउस पर ले गए। सभी को खाना, आवासन के साथ प्रत्येक को एक-एक हजार रुपये भी दिए गए हैं। वे अब खुश हैं।



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