सिविल सेवाओं 2019 में भर्ती हुए नए उम्मीदवारों में सिर्फ 5% मुस्लिम को मिली जगह, शीर्ष 100 में एक

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Only 5% of Muslim candidates got place in the new recruitment in Civil Services 2019

यूपीएससी ने 2019 बैच के लिए सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 42 मुस्लिम उम्मीदवारों की भर्ती की है, जो पिछले साल के मुकाबले 28 की उम्मीदवारों की संख्या से ज्यादा है। इस बार 45वें स्थान पर आने वाली सफना नज़रुद्दीन ने मुस्लिम उम्मीदवारों में सर्वोच्च रैंक हासिल की है और शीर्ष 100 में अपने समुदाय से अकेली हैं।

यूपीएससी द्वारा मंगलवार को जारी किए गए सीएसई के परिणाम के अनुसार, इस बार सिविल सेवा परीक्षा में कुल 829 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है। द प्रिंट की एक खबर के मुताबिक इस बार परीक्षा में 5 प्रतिशत मुस्लमान पास हुए है, जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में रुझान रहा है। मुस्लमानों की आबादी भारत की लगभग 15 प्रतिशत है।


आपको बता दें कि पिछले साल सिविल सेवा परीक्षा में चुने गए मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कुल 28 थी, जो कि भर्ती किए गए 759 उम्मीदवारों में से 4 प्रतिशत थी। वहीं साल 2016 बैच में, इतिहास में पहली बार, यूपीएससी के माध्यम से 50 मुसलमानों का चयन किया गया था। जिसमें 10 ने शीर्ष 100 में स्थान बनाया था। जबकि 2017 बैच में भी 50 मुसलमान इस परीक्षा में चुने गए थे।

साल 2012, 2013, 2014 और 2015 बैच में, यह संख्या क्रमशः 30, 34, 38 और 36 रही थी। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक ज़कात फाउंडेशन के ज़फर महमूद ने कहा, ‘2016 के बाद से, मुस्लिम उम्मीदवार लगभग 5 प्रतिशत रहे हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है। स्वतंत्रता के बाद से यह संख्या लगभग 2.5 प्रतिशत थी। ’इस साल जिन 42 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है, उनमें से 27 ज़कात फाउंडेशन से हैं।

इसके साथ ही महमूद ने कहा कि नागरिक सेवाओं की तरफ ज्यादा आने की बात 2006 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कही गई, जिसमें सरकारी नौकरियों में मुस्लमानों के खराब प्रतिनिधित्व के बात दर्ज की गई। इस रिपोर्ट के हिसाब से उस समय, केवल 3 प्रतिशत आईएएस अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा के 1.8 प्रतिशत अधिकारी और 4 प्रतिशत आईपीएस अधिकारी मुस्लिम थे।


हालांकि 2001 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम समुदाय देश की 13.4 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती थी। महमूद ने कहा, ‘तब से लेकर अब तक इस समुदाय के दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है और यह हर साल प्रतिनिधित्व को 5 प्रतिशत तक लाने में सफल रहा है।’

उन्होंने कहा कि यह एक चिंता का विषय भी है कि केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार ने शीर्ष 100 में जगह बना पाया। ‘यह सिर्फ हमें बताता है कि हमें प्रयास करते रहना होगा।’पिछले कुछ सालों में देशभर में कई कोचिंग सेंटर सामने आए हैं जो मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से कोचिंग प्रदान करते हैं, जैसे हमदर्द स्टडी सर्कल, आगाज़ फाउंडेशन, लार्कसपुर हाउस, आदि।

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