Jaun Elia Death Anniversary: जो कहता था, मैं जो हूँ ‘जॉन एलिया’ हूँ जनाब इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा

  • Follow Newsd Hindi On  
Jaun Elia Death Anniversary: जो कहता था, मैं जो हूँ 'जॉन एलिया' हूँ जनाब इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा

“मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं”

ये वो शेर है जो शायद उर्दू के महान शायर जॉन एलिया की पूरी जिन्दगी को बयान करता है। अगर आप गजल और शायरी का शौक रखते होंगे तो जॉन एलिया आपको जरूर पसंद होंगे। जॉन उर्दू जबान के कमाल के शायर थे।


जॉन हमेशा खुद को बौना शायर कहा करते थे। जॉन को बेहद इमानदार शायर कहा जाता था। उनकी गजलों से, उनकी नज्मों से जॉन की जिंदगी की सच्चाई झलकती थी। जॉन हमेशा कहा करते थे कि मेरी बर्बादी की वजह मैं खुद हूं।

बिखरे बाल, पतला शरीर और लड़खड़ाती जुबान। जॉन को शायद ऐसे ही बयां किया जा सकता है। जॉन खुद को बर्बाद शायर कहते थे। जॉन को अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, फारसी, हिब्रू और अरबी जैसी भाषाओं का इल्म था।

जॉन एलिया का जन्म 14 दिसंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था। वह अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। जॉन का असली नाम सैयद सिब्त ए असगर नकवी था। जॉन को भारत और अमरोहा से बेहद लगाव था। उनका ये लगाव उनके कई मुशायरो में दिखता भी है। जॉन एलिया का लंबी बीमारी के बाद 8 नवंबर, 2002 को कराची में निधन हो गया था।


मशहूर कवि कुमार विश्वास जॉन एलिया पर लिखी किताब ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’ में लिखते हैं, “जॉन एक ख़ूबसूरत जंगल हैं, जिसमें झरबेरियां हैं, कांटे हैं, उगती हुई बेतरतीब झाड़ियां हैं, खिलते हुए बनफूल हैं, बड़े-बड़े देवदारू हैं, शीशम हैं, चारों तरफ़ कूदते हुए हिरन हैं, कहीं शेर भी हैं, मगरमच्छ भी हैं। जॉन आपको दो तरह से मिलते हैं, एक दर्शन में एक प्रदर्शन में। प्रदर्शन का जॉन वह है जो आप आमतौर पर किसी भी मंच से पढ़ें तो श्रोताओं में ख़ूब कोलाहल मिलता है। दर्शन का जॉन वह है जो आप चुनिंदा मंचों पर पढ़ सकते हैं और श्रोता उन्हें अपने घर ले जा सकते हैं।”

जॉन एलिया के कुछ मशहूर शेर

1.“जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है”

2.“मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं”

3.“ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या”

4.“बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या”

5.“ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में”

6.“कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया”

7.“कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है”

8.“क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है”

9.“इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने”

10.“उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं”

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)