भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी जाहिर की है। इंदौर से बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय के बैट से नगर निगम अधिकारी की बुरी तरह से पिटाई करने के मामले में पीएम मोदी ने साफ कहा कि किसी का भी बेटा हो, ऐसा बर्ताव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में ये बातें कहीं।
भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री बहुत नाराज थे। उन्होंने कहा कि बदसलूकी करने, पार्टी को बदनाम करने या सार्वजनिक रूप से अहंकार दिखाने का हक किसी के पास नहीं है। उन्होंने कड़े शब्दों में यह बात कही। साथ ही कहा कि ऐसी हरकतें स्वीकार नहीं है।’
आपको बता दें कि खबरों के अनुसार पीएम मोदी ने कहा, ‘जिन लोगों ने इस मामले में जमानत पर रिहा हुए आकाश विजयवर्गीय का स्वागत किया है, उन्हें पार्टी में रहना का हक नहीं है। सभी को पार्टी से निकाल देना चाहिए।’ सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने आकाश विजयवर्गीय मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस तरीके की घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए। ये पार्टी और देश के हित में नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम के अधिकारी की क्रिकेट के बैट से पिटाई की थी। इसके बाद आकाश विजयवर्गीय को गिरफ्तार कर लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद भोपाल की विशेष कोर्ट ने उन्हें शनिवार को जमानत दी और रविवार सुबह उन्हें जेल से रिहा किया गया। जेल से रिहा होने के बाद आकाश विजयवर्गीय का भव्य स्वागत किया गया था। घर पहुंचने के बाद उनके माथे पर टीका लगाया गया और मिठाई बांटकर खुशी मनाई गई। इतना ही नहीं, जमानत मिलने के बाद उनके समर्थकों ने इंदौर में भाजपा दफ्तर के बाहर फायरिंग करके भी जश्न मनाया था, जिस पर काफी विवाद हुआ।
इस दौरान आकाश ने कहा था, ‘मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मुझे दोबारा बल्लेबाजी करने का अवसर न दे। अब गांधीजी के दिखाए रास्ते पर चलने की कोशिश करूंगा।’
कैलाश विजयवर्गीय का बयान
गौरतलब है कि बल्ले से पिटाई के मामले में बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने विधायक बेटे आकाश का बचाव किया था। उन्होंने आकाश को कच्चा खिलाड़ी बताया। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा ‘ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है आकाश और नगर निगम के कमिश्नर दोनों पक्ष कच्चे खिलाड़ी हैं। यह एक बड़ा मुद्दा नहीं था, लेकिन इसे बहुत बड़ा बना दिया गया।’
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था ‘मुझे लगता है कि अधिकारियों को अहंकारी नहीं होना चाहिए। उन्हें जनप्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए। मैंने इसकी कमी देखी है। दोनों को समझना चाहिए, ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो।’