हिंदी सिनेमा के लेजेंड कहे जाने वाले गुरु दत्त (Guru Dutt) एक ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने दर्शकों को फिल्मों की बारीकियों से रूबरू करवाया। अपने हुनर से वह फिल्म के खामोशी भरे सीन को भी लाइट और कैमरा की मदद से खास बना देते थे। आज उनकी जयंती है।
गुरु दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को हुआ था बेंगलुरु में हुआ था। उनका असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था। लेकिन बंगाली संस्कृति के प्रति उनका लगाव इतना बढ़ा कि उन्होंने अपना नाम बदलकर गुरुदत्त रख लिया था। गुरु दत्त ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1944 में फिल्म ‘चांद’ में एक छोटे से रोल से की। वर्ष 1947 में वह मुंबई आ गए फिल्म ‘बाजी’ (1951) में उन्होंने उस समय के बड़े अभिनेता बलराज साहनी के साथ मिलकर पटकथा लिखी और निर्देशक भी बने। इसके एक साल बाद उन्होंने ‘गुरुदत्त फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड’ (Guru Dutt Films Pvt Lmt) नाम से अपनी एक फिल्म कंपनी बनाई। इसके बाद उनकी मुलाकात पटकथा लेखक अबरार अल्वी से हुई, जिन्होंने उनकी फिल्मी सफर में हमेशा उनका साथ दिया। इस कंपनी के तले उनकी पहली फिल्म ‘आर पार’ (1954) थी।
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अपने फिल्मी करियर में गुरु दत्त ने कई हिट फिल्में दी जिनमें प्यासा, कागज़ के फूल, चौदहवीं का चांद, साहेब बीवी और गुलाम, सीआईडी, मिस्टर एंड मिसिज 55 जैसी फिल्में शामिल हैं। एक निर्देशक के तौर पर उनकी आखिरी फील ‘कागज़ के फूल’ (1959) थी वहीं, एक अभिनेता के तौर पर वह आखिरी बार 1964 में आई फिल्म ‘सांझ और सवेरा’ में नजर आए।
‘प्यासा’, गुरुदत्त और वहीदा रहमान
अपने करियर में खूब नाम कमाने वाले गुरुदत्त की निजी जिंदगी कुछ खास सही नहीं बीती। करियर में उतार- चढ़ाव और प्यार में नाकामी के बाद उन्होंने नशे को चुना और अंत में अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया।
दरअसल, फिल्म ‘बागी’ के दौरान गुरुदत्त की मुलाकात सिंगर गीत दत्त रॉय से हुई और आगे चल कर दोनों ने शादी कर ली। दोनों के तीन बच्चे हुए। लेकिन फिल्म ‘सीआईडी’ (1956) से उनके निजी जीवन में काफी कुछ बदल गया। उन्हें इस फिल्म के लिए एक नए चेहरे की तलाश थी, जो वहीदा रहमान पर जा कर खत्म हुई।
इस के बाद अगले ही साल गुरु दत्त ने फिल्म प्यासा बनाई, जिसमें उन्होंने वहीदा रहमान के साथ लीड रोल किया। इस फिल्म में दोनों की केमिस्ट्री को काफी सराहा गया। ‘प्यासा’ दुनिया में अब तक बनी टॉप 100 फिल्मों में से एक है। इस फिल्म के बाद वहीदा रहमान और गुरु दत्त के अफेयर की खबरें आने लगी। जब पत्नी गीता तक ये बात पहुंची तो उन्होंने हमेशा के लिए गुरुदत्त का घर छोड़ दिया। इसके बाद वहीदा रहमान ने भी गुरु दत्त से दूरी बना ली। दोनों ने आखिरी बार ‘कागज़ के फूल’ में साथ काम किया, जो कि बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। इसके बाद गुरु दत्त ने निर्देशन छोड़ दिया।
इस फिल्म में गुरु दत्त को काफी नुकसान हुआ प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में चल रही उथल- पुथल के कारण उन्होंने 10 अक्टूबर 1964 को दवाइयों और शराब की ज्यादा मात्रा ले ली, जिसके बाद उनका निधन हो गया। बताया जाता है कि यह उनकी उनकी खुदकुशी की तीसरी कोशिश थी। इससे पहले भी वो दो बार आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे।