अर्श से फर्श तक का सफर: रिलायंस कम्युनिकेशन ने खुद को दिवालिया घोषित किया

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अर्श से फर्श तक का सफर: रिलायंस कम्युनिकेशन ने खुद को दिवालिया घोषित किया

महज एक दशक पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि कि अंबानी की कंपनी इस हालत में पहुंचेगी, क्योंकि ‘रिलायंस’ और ‘अंबानी’ ये दोनों ही सफलता के पर्याय रहे हैं। एक जमाने में देश भर में 15 पैसे में देश की सबसे सस्ती मोबाइल सेवा को शुरू करने वाले अनिल अंबानी की कंपनी रिलांयस कम्यूनिकेशन ने शुक्रवार को दिवालिया घोषित करने की अर्जी दी है। सोमवार को कंपनी का शेयर 54.3 फीसदी गिरकर 5.30 रुपये पर आ गए थे।

जब सितारा था बुलंद

व्यापार जगत में एक दशक पहले तक अनिल अंबानी और रिलायंस की तूती बोलती थी। बड़े भाई मुकेश अंबानी से बटवांरे के बाद अनिल के खाते में रिलांयस कम्यूनिकेशन भी आ गई थी। CDMA तकनीक के भरोसे कंपनी ने अपनी मोबाइल सेवाओं को मात्र 500 रुपये में देना  शुरू कर दिया था। हालांकि लोकप्रियता के चरम पर पहुंचने के बाद भी कंपनी की वित्तीय स्थिति डांवाडोल होती गई है।


एनसीएलटी में दी थी अर्जी

विभिन्न कर्जदाताओं का बकाया लौटाने में असफल रही कंपनी ने एनसीएलटी में दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के तहत फास्ट ट्रैक रिज्योलूशन की गुहार लगाई है। कंपनी ने कहा कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की है और उसने पाया है कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजना सफल नहीं हो सकी है। ऐसे में उसके पास आईबीसी के तहत प्रक्रिया शुरू करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

घंटों में डूबे निवेशकों के डेढ़ हजार करोड़

कंपनी की ओर से आईबीसी के तहत आने की अर्जी देने के बाद सोमवार को बीएसई पर कंपनी के शेयर 54 फीसदी तक गिर गए। इससे कुछ ही घंटों में निवेशकों के 1,550 करोड़ रुपये डूब गए। शुक्रवार को कंपनी के शेयरों का मूल्य 11.60 रुपये पर बंद हुआ था जो सोमवार को घटकर 6 रुपये के भाव पर आ गया। आखिर में 35 फीसदी गिरावट के साथ शेयरों का मूल्य 7.55 रुपये पर बंद हुआ।

क्यों चुनी आईबीसी प्रक्रिया

कंपनी अपने कर्जों का जल्द भुगतान करना चाहती है और आईबीसी के तहत आने के बाद उसके मामले का निपटारा नौ माह यानी 270 दिनों के भीतर निपटारा हो सकेगा। इससे पहले कंपनी ने जियो को स्पेक्ट्रम बेचकर 970 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी लेकिन एनसीएलटी ने शर्त रखी कि बची रकम का भुगतान जियो को करना होगा। इसके बाद जियो स्पेक्ट्रम खरीद से पीछे हट गई।


एरिक्सन ने और बढ़ाई मुश्किल

स्वीडन की कंपनी एरिक्सन ने रिलांयस कम्यूनिकेशन और अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ रखी हैं। उसने एनसीएलएटी में अपील की है कि कंपनी उसके 15.8 करोड़ डॉलर के कर्ज में से 7.9 करोड़ का भुगतान नहीं कर सकी है। लिहाजा अनिल अंबानी की निजी संपत्तियों को बेचकर उसका निपटारा किया जाए। रिलांयस कम्यूनिकेशन की ओर से दिवालिया प्रक्रिया अपनाने की अपील के बाद एनसीएलएटी ने सोमवार को एरिक्सन से 8 फरवरी तक अपने आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया है। ट्रिब्यूनल इस पर 12 फरवरी को फैसला सुनाएगा।

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