भारतीय सेना इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रही है। फंड की कमी की शिकार इंडियन आर्मी ने अधिकारियों को दिए जाने वाले जरूरी भत्तों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दिया है। सोमवार को सेना के अकाउंट डिविजन की वेबसाइट पर इस बात से जुड़ी एक सूचना डाली गयी है। ये वे भत्ते हैं जो ऑफिसर्स को उस समय दिए जाते हैं जब वे ऑफिशल काम और ट्रेनिंग आदि के लिए यात्रा करते हैं। हालांकि इस नोटिस के डाले जाने के कुछ समय बाद ही इसे वापस ले लिया गया। अब इस पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
वेबसाइट पर लगा नोटिस पुणे स्थित प्रिंसिपल कंपट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (पीसीडीए) पर ऑफिसर्स की सैलरी और बाकी भत्तों के वितरण का जिम्मा है। पीसीडीए की वेबसाइट पर सोमवार को एक नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में कहा गया था, ‘अपर्याप्त फंड के चलते आर्मी ऑफिसर्स को दिए जाने वाले टीए यानी टेम्पोरेरी ड्यूटी और परमानेंट ड्यूटी के तहत दिए जाने वाले टीए और डीए की प्रक्रिया रोक दी गई है। लेकिन लीव ट्रैवेल कंसेसशन यानी एलटीसी जारी रहेगा।’ माना जा रहा है कि सैंकड़ों ऑफिसर्स पर इसका असर पड़ेगा।
अक्सर सफर करते हैं अधिकारी
सेना में इस समय 40,000 अधिकारी हैं। इनमें कम से कम 1,000 ऑफिसर्स ऐसे हैं जो कोर्स, प्लानिंग कॉन्फ्रेंसेज, कोर्ट ऑफ इनक्वॉयरीज, एक्सरसाइज या फिर दूसरे जरूरी मसलों की वजह से अक्सर टेम्पोरेरी ड्यूटी या फिर टीए पर रहते हैं। हाल ही में पेश हुए अंतरिम बजट के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि उसे अब तक का सबसे बड़ा आवंटन मिला है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब सात प्रतिशत के इजाफे के साथ आवंटन दिया गया है। इस खबर के आने के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया दी गई है।
एलटीसी पर कोई रोक नहीं: रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अगर एलटीसी में किसी ऑफिसर को कोई परेशानी होती है तो वह अपनी शिकायत साओ आफिसर के पास दर्ज करा सकते हैं। आर्मी ऑफिसर्स में अब इस कदम को लेकर खासा गुस्सा है। एक ऑफिसर की ओर से कहा गया है कि कई संवेदनशील मुद्दे जैसे ऑपरेशनल प्लान और डेप्लॉयमेंट्स के बारे में फोन पर चर्चा नहीं की जा सकती है। ऑफिसर्स को हेडक्वार्टर्स पर बुलाया जाता है। ऐसे में ऑफिसर्स को हर पल मूवमेंट पर रहना पड़ता है। सेना के ऑफिसर्स को सैलरी और भत्तों में हर वर्ष 4,000 करोड़ रुपए की रकम खर्च होती है।
सूत्रों के मुताबिक इस वर्ष करीब 3200 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बाद 800 करोड़ रुपए का आवंटन होना बाकी है। वहीं रक्षा मंत्रालय की ओर से इस मुद्दे पर ज्यादा बात करने से इनकार कर दिया गया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से एक अंग्रेजी अखबार को जानकारी दी गई है कि कभी-कभी फंड की कमी हो जाती है। यह कमी कुछ ही समय के लिए होती है और इसका समाधान भी जल्द कर लिया जाता है।
रक्षा बजट में अच्छी वृद्धि, आधुनिकीकरण पर जोर
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