लोकसभा में सोमवार को नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ली। प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार ने 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलवाई। इस बीच भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के शपथ ग्रहण के दौरान लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। साध्वी प्रज्ञा जैसे ही शपथ लेने पहुंचीं, विपक्ष के सदस्यों ने उनके नाम को लेकर आपत्ति जताई और हंगामा करने लगे।
बता दें, प्रज्ञा सिंह ठाकुर संस्कृत में शपथ ले रही थीं। शपथ लेने के लिए प्रज्ञा ने जैसे ही संस्कृत में अपने नाम का उच्चारण किया, विपक्ष ने इसका विरोध किया। साध्वी प्रज्ञा ने संस्कृत में कहा, “मैं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर स्वामी पूर्णचेतनानंद अवधेशानंद गिरी लोकसभा सदस्य के रूप में…” इस बीच कुछ सांसदों ने टोका-टोकी शुरु कर दी। जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रुकना पड़ा।
लोकसभा में मौजूद अधिकारियों ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कहा कि वे अपने पिता का नाम भी लें। इस दौरान विपक्षी सदस्य लगातार हंगामा करते रहे। हालांकि प्रोटेम स्पीकर डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि वे रिकॉर्ड चेक कर रहे हैं, सभी सदस्य शांति बनाए रखें। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जब दूसरी बार शपथ लेना शुरू किया तो विपक्षी सांसद फिर से हंगामा करने लगे। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को एक बार फिर बीच में ही रुकना पड़ा।
In today’s 17th LokSabha MP’s swearing-in.
Sadhvi Pragya catch again in Controversial cyclone.
In flow of words she mixed up her Diksha and father’s Name pronouncing in Sanskrit language.
Opposition started cry and Shouting to get something out.
“Angry young Woman”#sadhvipragya pic.twitter.com/eyofo146G1— Nikunj Ahir (@nbahir8) June 17, 2019
इसके बाद लोकसभा के अधिकारी सांसदों के रिकॉर्ड से जुड़ी फाइल प्रोटेम स्पीकर डॉ वीरेंद्र कुमार के पास लेकर गए। यहां पर प्रोटेम स्पीकर ने रिकॉर्ड चेक किया। प्रोटेम स्पीकर ने साध्वी प्रज्ञा से चुनाव अधिकारी द्वारा दिया गया जीत का प्रमाण पत्र भी मांगा। इस बीच प्रोटेम स्पीकर बार बार विपक्षी सांसदों को चुप कराते रहे। आखिरकार तीसरी बार में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पूर्ण रुप से शपथ ले सकीं।
बता दें कि महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीती हैं। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनाव में हराया था।