बिहार के वाल्मीकिनगर ब्याघ्र अभयारण्य में बढ़ेगा ‘ग्रासलैंड’

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बेतिया, 23 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि ब्याघ्र अभयारण्य (वीटीआर) में बाघ सहित अन्य जानवरों को अब अनुकूल वातावरण मिलेगा। अब अभयारण्य में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए ग्रासलैंड विकसित करने का काम किया जा रहा है। वाल्मीकि ब्याघ्र अभयारण्य के एक अधिकारी ने बताया कि वनक्षेत्रों में नए ग्रासलैंड बनाने और पुराने ग्रासलैंड को दुरुस्त करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नए किस्म के घास लगाने का काम प्रारंभ किया गया है।

अधिकारी का कहना है कि जल्द ही बाघों की सुरक्षा के लिए सशस्त्र टाइगर फोर्स का गठन करने पेट्रोलिंग पार्टी व वाइल्ड लाइफ ट्रैकर को हाईटेक बनाने तथा सूचनाओं का अदान-प्रदान करने के लिए वायरलेस ऑपरेटिंग स्टेशन को चुस्त-दुरुस्त कराया जाएगा।


वाल्मीकि ब्याघ्र अभयारण्य के निदेशक हेमकांत राय ने सोमवार को आईएएनएस से कहा कि “पूरे वाल्मीकि ब्याघ्र परियोजना क्षेत्र में इस साल 1500 हेक्टेयर में ग्रासलैंड बनाया जाएगा। कुछ क्षेत्रों में काम प्रारंभ हुआ है। इसमें कुछ इलाके में नए घास लगाए जाएंगे, जबकि कुछ इलाकों में पुराने घासों को दुरुस्त किया जाएगा।”

उन्होंने बताया कि ‘व्यूह स्ट्रीट’ के आसपास की घासों को भी दुरुस्त किया जाएगा। राय का दावा है कि अगले एक-दो महीने में इन कायरें को पूरा कर लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अभयारण्य में नमी और पहाड़ी क्षेत्रों में घासों की अलग-अलग देखरेख करनी पड़ती है। ऐसे में घासों के प्रकार पर भी ध्यान दिया जा रहा है।


उन्होंने कहा, “वीटीआर के वनक्षेत्रों में जंगल के अंदर बाघों को भोजन के लिए शाकाहारी जानवरों की तादाद बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड एक कड़ी साबित होगी। जंगल के अंदर ग्रासलैंड आवश्यकता के अनुसार होंगे तो चीतल, हिरण, सांभर, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर जंगल के अंदर ही अधिवास बनाएंगे, जिससे बाघों को भोजन मिलता रहेगा।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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