बिहार के 23 मुख्यमंत्रियों में से 18 लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव, इन दो की हुई हार

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बिहार के 23 मुख्यमंत्रियों में से 18 लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव, इन दो की हुई हार

भारत का लोकतंत्र 70 साल पुराना है। जाहिर है कि देश ने अब तक कई चुनाव देखे हैं। हर चुनाव एक नई सरकार के साथ कुछ चौंकाने वाले आंकड़े और मज़ेदार किस्से देकर जाता है। अगले चुनाव के समय ये किस्से और आंकड़े फिर से लोगों के सामने आने लगते हैं। एक ऐसा ही दिलचस्प आंकड़ा बिहार से निकलकर आया है। वो यह है कि आजादी के तुरंत बाद बने औपबंधिक लोकसभा से लेकर 15वीं लोकसभा तक बिहार के किसी न किसी पूर्व सीएम की मौजूदगी दिल्ली के दरबार में बतौर सांसद रही है।

2009 के लोकसभा चुनाव में राम सुंदर दास सांसद बने थे, जो पूर्व सीएम थे। हालाँकि, 16वीं लोकसभा के लिए 2014 के चुनाव में ये क्रम टूट गया था और बिहार से एक भी ऐसे सांसद नहीं चुने गए, जो पूर्व में सीएम रहे हों। अब 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी गया सीट से चुनावी मैदान में हैं। पहले चरण के अंतर्गत 11 अप्रैल को होने वाले चुनाव में मांझी जीत गए तो पूर्व मुख्यमंत्रियों के संसद पहुंचने की परंपरा फिर से बहाल हो जाएगी।


बिहार के मुख्यमंत्री और सांसद दोनों बने

1950 में बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिन्हा के पुत्र सत्येन्द्र सिन्हा प्रोविजन पार्लियामेंट के सदस्य बने। 1952 में हुए पहले चुनाव में वह औरंगाबाद से सांसद बने। बाद में बिहार के 19वें सीएम भी बने। इनके साथ ही दीप नारायण सिंह भी प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य बने थे, जो बिहार के सीएम रहे।

सांसद व प्रदेश का मुख्यमंत्री दोनों बनने वाले नेताओं की फेहरिस्त में दीप नारायण सिंह का नाम पहले आता है। इसके बाद तो पंडित बिनोदानंद झा, केदार पांडेय, महामाया प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर, बीपी मंडल, केदार पांडेय से लेकर मौजूदा सीएम नीतीश कुमार तक कुल 16 नाम हैं। इनमें कई तो केंद्र में मंत्री भी रहे। खास बात यह कि सीएम के अलावा सांसद बने कई नेता गैर कांग्रेसी रहे हैं। मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी देवी व जीतन राम मांझी लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। यानी 18 ऐसे सीएम रहे हैं जो लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। नीतीश कुमार बिहार की इस सूची में बतौर सीएम 23वें शख्स हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र बने विधायक

बिहार के कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। चंद्रिका राय का नाम तो इसमें है ही, अब्दुल गफूर के पौत्र आसिफ गफूर विधायक रहे हैं। जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र राज्य में मंत्री रहे। इनके भाई और केंद्र में मंत्री रहे ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय मिश्र भी विधायक रहे हैं। रामसुंदर दास के पुत्र विधायक रहे। लालू प्रसाद व राबड़ी देवी के दोनों पुत्र विधायक और मंत्री बने। जीतन राम मांझी के पुत्र विधान पार्षद हैं।


सीएम भी रहे और सांसद भी

  • दीप नारायण सिंह
  • सत्येन्द्र नारायण सिन्हा
  • बिनोदानंद झा
  • महामाया प्रसाद सिन्हा
  • सतीश प्रसाद सिंह
  • बीपी मंडल
  • कर्पूरी ठाकुर
  • केदार पांडेय*
  • अब्दुल गफूर*
  • जगन्नाथ मिश्र*
  • राम सुंदर दास
  • चंद्रशेखर सिंह*
  • बिंदेश्वरी दूबे
  • भागवत झा आजाद*
  • लालू प्रसाद*
  • नीतीश कुमार*
    (*केंद्र में मंत्री भी रहे)

पूर्व सीएम के पुत्र भी बने सांसद

बिहार में कई ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनके पुत्र भी बाद में सांसद बने। इस सूची में सबसे पहला नाम निखिल कुमार का आता है। हालांकि यह पहला मौका है, जब बिहार विभूति अनुग्रह बाबू के परिवार का कोई शख्स लोकसभा चुनाव के मैदान में नहीं है। हां, इनके रिश्तेदार पप्पू सिंह उर्फ उदय सिंह पूर्णिया से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार नया नाम जुड़ा है चंद्रिका राय का। इनके पिता दारोगा राय सीएम रहे हैं। भागवत झा आजाद के पुत्र कीर्ति आजाद सांसद रह चुके हैं। कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ राज्यसभा सांसद हैं।

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