बिहार: कहानी राज्य के लाखों नियोजित शिक्षकों की, हाईकोर्ट से मिली थी उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट ने किया निराश

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बिहार: कहानी राज्य के लाखों नियोजित शिक्षकों की, हाईकोर्ट से मिली थी उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट ने किया निराश

लंबे समय से समान काम-समान वेतन के लिए सड़क से लेकर कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे बिहार के 3.5 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के लिए शुक्रवार का दिन निराशा भरा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियोजित शिक्षकों के समान काम-समान वेतन की मांग को खारिज करते हुए बिहार सरकार के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान वेतन से संबंधित सुनवाई 03 अक्टूबर 2018 को पूरी हो गई थी पर आदेश सुरक्षित रख लिया गया था। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के समान वेतन देने वाले आदेश को भी खारिज कर दिया है।

पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटा

दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था और कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी। बिहार सरकार की दलील थी कि इस आदेश से उस पर करीब 9500 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ेगा।


कब क्या हुआ

  • 2009 :  बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने समान काम के लिए समान वेतन को लेकर पटना हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की।
  • 31 अक्तूबर, 2017 : पटना हाइकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में सुनाया फैसला, समान काम के लिए समान वेतन देने का दिया आदेश।
  • 03 अक्तूबर, 2018 : सुप्रीम कोर्ट में हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई पूरी।

एक काम के लिए दो तरह के वेतन मिलते हैं शिक्षकों को 

बिहार सरकार राज्य के शिक्षकों को दो तरह का वेतन भुगतान करती है। नियमित शिक्षकों को राज्य सरकार के कर्मचारी की तर्ज पर पहले लागू वेतनमान के आधार पर वेतन मिलता है। वहीं पंचायत और नगर निकाय द्वारा नियुक्ति शिक्षक जिन्हें नियोजित शिक्षक कहा जाता है, उन्हें पहले वेतन के रूप में तय राशि मिलती थी। लेकिन जुलाई 2015 से इनके लिए अलग से वेतनमान तय हुआ। इसके बाद से इनलोगों के वेतन में वृद्धि हुई, पर पहले से वेतनमान पा रहे शिक्षकों के अनुपात में इनका वेतन अब भी काफी कम है।

केंद्र और राज्य दोनों ने किया निराश

नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों की तर्ज पर वेतन देने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर दिये थे। दोनों सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नियोजित शिक्षकों और पुराने शिक्षकों की नियुक्ति अलग-अलग शर्तों पर हुई है। साथ ही पुराना वेतनमान देने को लेकर अपनी आर्थिक असमर्थता भी बतायी थी।

किसको कितना वेतन

  • नियोजित शिक्षक (प्रशिक्षित) : 24 हजार से 32 हजार
  • नियोजित शिक्षक (अप्रशिक्षित) : 13 हजार से 20 हजार
  • नियमित शिक्षक (पुराने वेतनमान) : 75 हजार और इससे अधिक

नियोजित शिक्षकों के हितों की रक्षा हमारा कर्तव्य : मंत्री

नियोजित शिक्षकों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि नियोजित शिक्षक कोई गैर नहीं हैं। इन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही खड़ा किया है। उनके वेतन में वृद्धि के लिए हमेशा प्रयास किया है। क्या आरंभिक तनख्वाह थी और अब क्या मिल रहा है, देख लें‌? देशभर में इतनी संख्या में नियुक्ति का कोई दूसरा उदाहरण नहीं दिखता है। हम इनसे कोई टकराव नहीं चाहते हैं, क्योंकि ये अपने हैं। नियोजित शिक्षकों के हितों की रक्षा हमारा पहला कर्तव्य है।


फैसले पर शिक्षक संगठनों की राय

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद इस पर अधिवक्ताओं से राय ली जाएगी। फिर आगे क्या करना है, इस पर संघ निर्णय लेगा।

वहीं TET STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय बिहार के तमाम नियोजित शिक्षकों के लिए घोर निराशाजनक है। इस प्रकार का निर्णय न्याय का गला घोंटने के समान है। जहां इसी न्यायायल ने समान काम समान वेतन के सिद्धांत को स्थापित किया था , हमें ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं थी। हम न्यायायल के निर्णय की समीक्षा के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।

चुनाव बाद आगे निर्णय लेगा संघ

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा और वरीय उपाध्यक्ष रामअवतार पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिक्षक मर्माहत हैं। लोकसभा चुनाव के बाद इस संबंध में संघ आगे निर्णय लेगा।


बिहार: समान काम-समान वेतन पर 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

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