कौन हैं अमरेंद्रधारी सिंह, आखिर क्यों लालू ने एक भूमिहार को बनाया RJD का राज्यसभा उम्मीदवार

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कौन हैं अमरेंद्रधारी सिंह, आखिर क्यों लालू यादव ने एक भूमिहार को बनाया RJD का राज्यसभा उम्मीदवार

बिहार में राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी भूमिहार नेता को तरजीह देते हुए अपना कैंडिडेट बनाया है। बीजेपी ने सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजने का निर्णय किया है। वहीं लालू यादव की आरजेडी ने सबको चौंकाते हुए भूमिहार जाति से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह (Amarendra Dhari Singh) को उम्मीदवार बनाया है। बिहार की सियासत में भूमिहार समुदाय को आरजेडी का धुर विरोधी माना जाता रहा है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक तेजस्वी यादव के इस कदम के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं:

MY का ठप्पा हटाना चाहते हैं तेजस्वी?

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में राजद के साथ-साथ तेजस्वी यादव के चुनावी कौशल और नेतृत्व क्षमता की अग्निपरीक्षा होनी है। ऐसे में पार्टी ने अपने कोर वोटबैंक की जगह भूमिहार तबके से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा का टिकट देकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। याद रहे कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने एक भी भूमिहार को टिकट नहीं दिया था। माना जा रहा है कि आरजेडी खुद पर लगा एमवाय (मुस्लिम-यादव) का ठप्पा हटाना चाहती है। इसी वजह से पहले प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर राजपूत बिरादरी से आने वाले जगदानंद सिंह को बैठाया गया था।


कई इलाकों में भूमिहार वोटर अहम

बिहार में कई विधानसभा सीटों पर भूमिहार वोट बैंक का अच्छा प्रभाव है। बेगूसराय, मुंगेर, नवादा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, महाराजगंज, जहानाबाद, आरा, मोतिहारी, पाटलिपुत्र, औरंगाबाद और सीतामढ़ी जैसे इलाकों में जीत-हार में भूमिहार वोटों की सीधी भूमिका रहती है। राज्य में सवर्णों की 17 फीसदी आबादी में से तकरीबन 5 फीसदी भूमिहार वोट है। इसके अलावा 5.2 फीसदी राजपूत और 5.7 फीसदी ब्राह्मण आबादी है। करीब 17 फीसदी मुस्लिम और 15 फीसदी यादव में से एक बड़ा हिस्सा पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। अब आरजेडी ने विधानसभा चुनाव के समीकरणों को देखते हुए भूमिहार वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

एक तीर से दो शिकार

गौरतलब है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कभी ‘भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो’ का नारा दिया था। हाल के दिनों तक लालू यादव ने भूमिहारों से काफी दूरी बनाकर रखी थी। लेकिन अब तेजस्वी ने भूमिहार समुदाय के नेता को राज्यसभा का टिकट देकर नया दांव आजमाया है।

बताया जा रहा है कि अमरेंद्रधारी के नाम का ऐलान कर लालू यादव ने एक तीर से दो शिकार किया है। पहला पार्टी से बिदक गये अगड़े वोटर्स को साधने की कोशिश की है और दूसरा कांग्रेस से अगड़ी जाति की राजनीति करने का तमगा छीनने की कोशिश की है। गौरतलब है कि ब्राह्मण जाति से आने वाले मनोज झा पहले से ही राजयसभा के सदस्य हैं।


दूसरे नाम ने सभी को चौंकाया

आरजेडी की ओर से राज्यसभा के लिए एक नाम लालू प्रसाद के करीबी प्रेमचंद गुप्ता का तय था। लेकिन दूसरे नाम ने सियासी पंडितों को हैरान किया। क्योंकि इसके लिए शिवहर के सैयद फैसल अली के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी थी। लेकिन आखिर में उनके नाम को काटकर एक नए चेहरे को सामने लाया गया है। इस नाम को राजद के कई नेता भी नहीं जानते हैं। जगदानंद सिंह ने राजद कार्यालय पटना में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में अमरेंद्रधारी सिंह का नाम लेते हुए उनके बारे में बताया कि वो समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, साथ ही राजद से जुड़े हुए हैं।

13 देशों में फर्टिलाइजर और केमिकल के इंपोर्ट का बिजनेस

अमरेंद्रधारी सिंह पटना जिले के विक्रम के रहने वाले हैं और अहमद पटेल के काफी करीबी माने जाते हैं। वो एक बड़े व्यवसायी और जमींदार है। पाटलिपुत्र कॉलोनी में उनका बड़ा आलीशान घर है। पटना के पालीगंज के अंइखन गांव में एक हजार बीघा जमीन के मालिक हैं। 55 साल के अमरेंद्रधारी सिंह ने अबतक शादी नहीं की है। उनका रियल एस्टेट समेत 13 देशों में फर्टिलाइजर और केमिकल के इंपोर्ट का व्यवसाय है।

इसके साथ ही अमरेंद्रधारी सिंह दिल्ली के गोल्फ क्लब के भी सदस्य हैं। इस क्लब में बिहार के सिर्फ तीन सदस्य हैं-किंग महेंद्र, रविशंकर प्रसाद और अमरेंद्रधारी सिंह। अमरेंद्रधारी सिंह ने पटना के सेंट माइकल स्कूल से पढ़ाई की है। बताया गया है कि वे दिल्ली में गरीबों के लिए 200 बेड का अस्पताल बनवा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वे लालू यादव के पुराने जानने वाले हैं।


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