लॉकडाउन: झारखंड के परवेज की टीबी से हुई मौत, हिंदू लड़की ने अहमदाबाद में किया अंतिम संस्कार

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लॉकडाउन: झारखंड के परवेज की टीबी से हुई मौत, हिंदू लड़की ने अहमदाबाद में किया अंतिम संस्कार

कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान झारखंड के एक नौजवान परवेज अंसारी की टीबी के कारण जान चली गई। रांची के पास इटकी का मूल निवासी परवेज पिछले दस महीनों से अहमदाबाद की एक फैक्ट्री में काम करता था। लॉकडाउन के दौरान उसके पास काम नहीं रहा था। 21 साल के परवेज को टीबी की बीमारी थी। लॉकडाउन में इस बीमारी ने उसकी हालत और खराब कर दी। गुरुवार को उसकी मौत टीबी से हो गई।

लॉकडाउन की वजह से उसके शव को अहमदाबाद से लाया नहीं जा सका। गुजरात की एक हिंदू लड़की ने मानवता दिखाते हुए उसका अंतिम संस्कार किया। रिपोर्ट के मुताबिक, परवेज के इलाज में मदद करने वाली चांदनी वाधवानी ने उसका अंतिम संस्कार किया। परवेज के परिजनों ने वीडियो कॉल के जरिये उसके अंतिम दर्शन किये।


लॉकडाउन: झारखंड के परवेज की टीबी से हुई मौत, हिंदू लड़की ने अहमदाबाद में किया अंतिम संस्कार

बता दें कि कोरोना के संकट काल में अहमदाबाद के अमराईवाडी इलाके में रहने वाला परवेज बीमार हो गया था। उसने तेज बुखार और खांसी के साथ झारखंड के राची में रहने वाले अपने परिवार को एक एनजीओ की मदद से वीडियो कॉल किया। कुछ दिन पहले देखने में हृष्ट-पुष्ट परवेज की हालत को देखकर घरवाले हैरान हो गए। लेकिन लॉकडाउन के चलते उसके पास नहीं जा सकते थे।

परिवार ने वह वीडियो झारखंड के मुख्य सचिव के ओएसडी भोर सिंह यादव को भेजा। उन्होंने अहमदाबाद पुलिस को सूचित किया। वीडियो में नंगे बदन अंसारी अपने कमरे की दहलीज पर बैठा हुआ है। हड्डियों के ढांचे जैसा दिखने वाले शरीर को देखकर उसकी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाथ जोड़ते हुए वह रुक-रुक कर बोल रहा है, ‘मेरी हालत बहुत खराब है। घर पहुंचा दीजिए।’


परवेज के घरवालों ने स्थानीय अधिकारियों को सूचना पहुंचाई और उनकी मदद से परवेज को अस्पताल ले जाया गया। वहां उन्हें पता चला कि परवेज को टीबी है और उसकी किडनियों ने काम करना बंद कर दिया है। जिस कॉलोनी में वह रहता है, वह अधिकांश खाली हो चुकी है। यहां पर रहने बचे प्रवासी मजदूरों और पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने परवेज को खाने के लिए दिया था, लेकिन वह बीमारी के कारण कुछ नहीं खा पाता था।

अस्पताल में दाखिले के वक्त परवेज की अपने परिजन से बात हुई, लेकिन फिर तीन दिनों तक उसकी कोई खबर नहीं थी। घरवालों काे यह भी सूचना मिली कि उसको कोरोना नहीं था। डॉक्टरों ने उसे टीबी वार्ड में दाखिल कराया है। लेकिन गुरुवार को परिजनों को परवेज की मौत की सूचना मिली। अहमदाबाद में एक एनजीओ की मदद से मिट्टी दी गयी। जनाजे की रस्म परिवारवालों ने वीडियो कॉल के जरिये देखी।

भाई का आरोप- सही तरीके से इलाज नहीं मिला

परवेज के भाई तौहिद ने आरोप लगाया कि परवेज को अहमदाबाद सिविल अस्पताल के टीबी वार्ड में तीन दिनों तक भूखा रखा गया। उनका कहना है कि वह रांची में होता, तो बच जाता। उसको सही तरीके से इलाज नहीं मिला। तौहिद ने बताया कि परवेज मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद तुरंत अहमदाबाद आ गया था और यहां पर वह एक फैक्ट्री में काम कर रहा था। करीब दो वर्ष यहां रहकर वह नौकरी छोड़कर वापस झारखंड चला गया था, लेकिन तीन महीने रहकर वापस अहमदाबाद आ गया था। तौहिद के मुताबिक उसका छोटा भाई देखने में काफी अच्छा था, लेकिन उसे टीबी की बीमारी थी।

परवेज के पिता छह वर्ष पहले ही गुजर गए थे। रिक्शा चलाकर रोजी-रोटी कमाने वाले तौहिद ने बताया कि परिवार में अब उनकी अम्मी और एक बहन है। दूसरी बहन का विवाह हो चुका है। लॉकडाउन के दौरान वे भी रिक्शा नहीं चला पा रहे हैं। ऐसे में आसपास और पड़ोस के लोग उनकी थोड़ी-बहुत मदद करते हैं।


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