जामिया समन्वय समिति (JCC) की सदस्य सफूरा जरगर को राहत, दिल्ली हाई कोर्ट से मिली जमानत

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जामिया समन्वय समिति (JCC) की सदस्य सफूरा जरगर को राहत, दिल्ली हाई कोर्ट से मिली जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों (North-East Delhi Riots) के संबंध में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) की सदस्य सफूरा जरगर (Safoora Zargar) को जमानत दे दिया है। उन्हें मानवीय आधार पर जमानत मिली है। सफूरा गर्भवती हैं और और पॉली सिस्टिक ओवरियन डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने सफूरा से किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होने के कहा है जिससे जांच पर असर हो। उन्हें दिल्ली नहीं छोड़कर जाने को भी कहा गया है।

बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत जरगर को गिरफ्तार किया गया था।


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इससे पहले सोमवार को भी सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर दिल्ली में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। कल दिल्ली पुलिस ने जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ गर्भवती होने के कारण वह बेल की हकदार नहीं हैं। दिल्ली पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि तिहाड़ जेल में पिछले 10 साल में 39 डिलीवरी हो चुकी है। ऐसे में सफूरा जरगर का मामला अलग और खास नहीं है।

गर्भाधान के आधार पर जमानत के लिए दाखिल याचिका के विरोध में दिल्ली पुलिस ने कहा, ‘अपराध की गंभीरता सिर्फ गर्भवती होने से कम नहीं होती है। पहले भी न सिर्फ केवल गर्भवती आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है बल्कि जेल में उनकी डिलीवरी भी हुई है। कानून में इस संबंध में पर्याप्त प्रावधान हैं।’ हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि जांच और गवाहों के बयान के आधार पर सफूरा जरगर के खिलाफ आपराधिक केस बनता है। दिल्ली पुलिस ने सफूरा जरगर को दिल्ली दंगों में मुख्य साजिशकर्ता करार देते हुए कहा है कि यह बात साक्ष्यों से पुष्ट भी हुई है।


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