बिहार में बंदी के बावजूद नहीं थम रही कोरोना संक्रमण की रफ्तार

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बिहार में कोरोना अब कहर ढाने लगा है। बिहार में कोरोना के भय का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना संक्रमित एक मरीज ने जहां अस्पताल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली, वहीं कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए भी गांव वाले विरोध कर रहे हैं। इधर, विपक्ष इसके लिए जहां सरकार की नकामी बता रहा है, वहीं सत्तापक्ष सरकार का बचाव करती नजर आ रही है।

बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। राज्य की राजधानी पटना में संक्रमितों की संख्या 5 हजार को पार कर चुकी है। वैसे, सरकार संक्रमितों की संख्या कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन कई लोग अभी भी इस महामारी को लेकर सचेत नहीं दिख रहे हैं।


बिहार सरकार ने राज्यभर में 31 जुलाई तक ‘बंदी’ कर दी है। हालांकि सुबह और शाम कुछ घंटों के लिए छूट दी गई है। इस दौरान घरों से निकले लोग बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं। गौरतलब है कि कई लोग बिना मास्क के भी सड़कों पर निकल रहे हैं। बिहार में मास्क लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया है तथा पुलिस द्वारा जुर्माना भी वसूला जा रहा है।

अपर पुलिस महानिदेशक (पुलिस मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि मास्क नहीं पहनने वाले लोगों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया, “पांच जुलाई से शुक्रवार तक मास्क नहीं पहनने वाले 94,520 व्यक्तियों से 47 लाख 26 हजार रुपये की जुर्माना राशि वसूल की गई है।”

इधर, कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को लेकर लोगों में भय व्याप्त है। पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तीसरी मंजिल से कूदकर एक मरीज ने शुक्रवार को अपनी जान दे दी। कैमूर जिले के भभुआ थाना में पदस्थापित एक दारोगा की मोहनिया स्थित घर पर कोरोना से मौत हो जाने के बाद अंतिम संस्कार के लिए शव को लेकर मोहनिया प्रखंड के रतवारा नदी तट पर पहुंचे स्वास्थ्यकर्मियों को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। बाद में इनके शव को बनारस ले जाना पड़ा।


स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में 14 जुलाई को कोरोना संक्रमितों की संख्या जहां 18,853 थी, वहीं 24 जुलाई को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 33,511 तक पहुंच गई। पटना में इन 10 दिनों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी से ज्यादा बढ़ गई है। पटना में 14 जुलाई को संक्रमितों की संख्या 2,259 थी, जो 24 जुलाई को बढ़कर 5,347 हो गई।

इधर, राजद और कांग्रेस कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रही है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस गंभीर आपदाकाल में भी 4 महीनों से अदृश्य हैं। इस निर्दयी सरकार ने छात्रों, मजदूरों, मरीजों, गरीबों और आम आदमी को मुसीबत के बीच मरने के लिए छोड़ दिया है।”

इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि सरकार कोरोना को लेकर अब तक काई विशेष व्यवस्था नहीं कर पाई है। प्रदेश में आबादी के अनुपात में 65 हजार डॉक्टरों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कुल चिकित्सकों की संख्या जोड़ ली जाए तो यह साढ़े छह हजार है>

इसी तरह से निजी क्षेत्र में अधिकतम 20 हजार लोग सेवा क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमितों की जांच तक नहीं हो रही है। भाजपा के प्रवक्ता डॉ़ निखिल आनंद कहते हैं कि विपक्ष ने कोरोना महामारी के दौरान लफ्फाजी भरी जुबानी जुगाली के अलावा कोरोना त्रासदी के दौर में कुछ भी योगदान नहीं दिया है।

आनंद ने कहा, “इस बात को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता कि केंद्र और राज्य की राजग सरकार के संयुक्त प्रयास से बिहार में जमीनी धरातल पर सकारात्मक बदलाव लाने का बड़ा प्रयास हुआ है। कोरोना और बाढ़ की संयुक्त चुनौती के दौर में जनता के लिए खाद्यान्न, राहत- सुविधा, रोजगार आदि सभी मुहैया कराने में प्रशासन मुस्तैदी से लगा हुआ है।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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