जम्मू-कश्मीर दौरे पर आए यूरोपियन यूनियन सांसदों के दल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। डेलिगेशन की ओर से कहा गया कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और कश्मीर के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में EU सांसदों ने अनुच्छेद 370 को इन सांसदों ने भारत का आंतरिक मसला बताया और कहा कि भारत-पाकिस्तान को आपस में बात करनी चाहिए। वहीं, डेलिगेशन में शामिल एक सांसद निकोलस फेस्ट ने कहा कि यदि भारत सरकार EU के सांसदों को जम्मू-कश्मीर में जाने दे रही है तो विपक्ष के नेताओं को भी वहां जाने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार के व्यवहार में थोड़ा असंतुलन है, इसलिए सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
Nicolaus Fest, European Union MP, in Srinagar on his visit to Jammu & Kashmir: I think if you let in European Union parliamentarians, you should also let in opposition politicians from India. So there is some kind of disbalance, the government should somehow address it. pic.twitter.com/PJZ6Vjs8sv
— ANI (@ANI) October 30, 2019
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में कुछ सांसदों ने माना कि कश्मीर में कुछ तनाव है लेकिन साथ ही उम्मीद जताई कि सरकार इससे निपट लेगी। एक सांसद ने आतंकियों को कश्मीर की समस्या बताया। सांसदों ने आतंकवाद के मसले पर कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ हैं, आतंकवाद का मसला यूरोप के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वह इस दौरे की रिपोर्ट यूरोपीय संसद में जमा करेंगे, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं करेंगे।
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सांसदों ने कहा है कि उनका भारत की आंतरिक राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है और वे इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आतंकवादियों द्वारा की जा रही हैं हत्याओं पर दुख हो रहा है। हम यहां तथ्यों को जानने आए हैं। सांसदों ने कश्मीर की जनता से कहा कि वे उनके दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति आपकी समस्या हो सकती है लेकिन आतंकवाद सबकी समस्या है। उन्होंने कहा कि वे यहां कश्मीरियों की समस्याओं को समझने आए हैं।