फिरोजाबाद : चाचा-भतीजे की लड़ाई में मैदान मार गई बीजेपी

  • Follow Newsd Hindi On  

समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर आखिरकार बीजेपी ने अपना परचम लहरा ही दिया। इसके साथ ही 21 सालों से लोकसभा सीट पर भाजपा की वापसी हो गई। यहां मुख्य मुकाबला चाचा शिवपाल और भतिजे अक्षय यादव के बीच माना जा रहा था लेकिन चाचा-भतीजे की इस लडाई में मैदान बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. चंद्रसेन जादौन मार गए। उन्होंने यहां 28,781 वोटों से जीत दर्ज की। जादौन को 4,95,819 वोट मिले तो वहीं दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव रहें। अक्षय को 4,67,028 वोट मिलें। शिवपाल यादव यहां तीसरे नंबर पर रहें।

आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी से बगावत कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले यूपी के कद्दावर नेता शिवपाल यादव इस चुनाव में कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। शिवपाल सिंह मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ पाए और तीसरे नंबर पर रहे। लोकसभा में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया।


समाजवादी पार्टी से नाराज शिवपाल यादव की कोशिश सपा के गढ़ में सपा को घेरने की थी। उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए फिरोजाबाद को रणनीति के तहत चुना था। फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण भी उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था।

लखनऊ की रैली में स्थानीय सपा नेताओं ने शिवपाल को फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था और शिकोहाबाद के रामलीला मैदान में बड़ी रैली करके शिवपाल ने फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। शिवपाल यादव ने फरवरी माह से चुनाव प्रचार शुरू किया था।

शिवपाल ही नहीं उनके रणनीतिकारों की रणनीति भी फेल हो गई। उनकी नजर यादव वोट के साथ-साथ मुस्लिम और भाजपा के वोट बैंक पर थी। भाजपा ने जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा काफी देर से की और साधारण कार्यकर्ता को टिकट दिया उससे शिवपाल समर्थक दूसरा गणित लगाए बैठे थे। शिवपाल समर्थक सोच रहे थे इसका लाभ उन्हें मिलेगा और भाजपा का कुछ वोट उन्हें शिफ्ट हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।


इस सीट को जीत कर शिवपाल यूपी की राजनीति में जो संदेश देने की कोशिश कर रहे थे, हार से उन्हें झटका लगा है। जानकारों का मानना है कि शिवपाल सिंह यादव ने यहां अक्षय यादव का वोट बिगाड़ दिया। जो 91 हजार वोट उन्हें मिले यदि शिवपाल यहां से नहीं लड़ते तो ये वोट समाजवादी पार्टी खेमे में जा सकते थे।

गौरतलब है कि बुधवार को शिवपाल यादव शिकोहाबाद आए थे और मतगणना अभिकर्ताओं की बैठक में उन्होंने दावा किया था कि वह फिरोजाबाद सीट जीतेंगे और उनके बिना केंद्र में कोई सरकार नहीं बनेगी।

आपको बता दें कि 999 से फीरोजाबाद सीट (2009 के उपचुनाव को छोड़) पर लगातार सपा जीत रही थी। इस बार का  मुकाबला शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के बीच माना जा रहा था। दोनों ही पक्ष सपा संरक्षक मुलायम सिंह का आशीर्वाद होने का दावा कर रहे थे। मगर मुलायम ने खुद दोनों का प्रचार नहीं किया। इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी चंद्रसेन को सब कमजोर बता रहे थे, मगर सीट पर कुछ लोगों का मानना था कि चाचा-भतीजे की लड़ाई में मलाई चंद्रसेन खा जाएं तो बड़ी कोई बात नहीं होगी। इसकी मुख्य वजह यादव और मुस्लिम वोटबैंक में बंटवारे की आशंका थी। फिरोजाबाद के एक दबंग विधायक भी बीजेपी के पक्ष में एक और बात ये रही कि 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की 5 में से 4 सीटों पर भगवा दल ने कब्जा किया था। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प रहा और आशंका सही निकली कि चाचा-भतीजे की लड़ाई में बीजेपी दांव मारेगी।

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)