सूरत अग्निकांड: महज 5 फीट ऊंची छत और बैठने के लिए टायर के इस्तेमाल से तेजी से फैली आग

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सूरत अग्निकांड: महज 5 फीट ऊंची छत और बैठने के लिए टायर के इस्तेमाल से तेजी से फैली आग

गुजरात के भयावह सूरत अग्निकांड की घटना की प्रारंभिक जांच में स्थानीय नगर परिषद के अधिकारियों और बिल्डरों की ओर से कई खामियों की बात सामने आ रही है। जांच में पाया गया है कि कोचिंग क्लास की संरचना भी आग जैसी घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील थी। इसमें छत काफी नीचे थी और कुर्सियों की जगह बैठने के लिए टायर का इस्तेमाल किया जा रहा था।

प्रारंभिक जांच में यह बात निकलकर आई है कि बिल्डर ने ‘प्रभाव शुल्क’ के भुगतान के साथ संरचना को मान्यता देने के लिए अर्जी दी तो यह बात छिपा ली कि उन्होंने तीन मंजिला कॉम्पलेक्स में चौथी मंजिल का निर्माण भी किया है। एक शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक संबंधित अधिकारी ने बिल्डर के प्रस्ताव को मंजूरी देते वक्त खुद बिल्डिंग का दौरा नहीं किया था।


गुजरात के मुख्य सचिव जे. एन. सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ कि उच्च ज्वलनशील सामग्री के इस्तेमाल और कोचिंग की कक्षाओं में कुर्सी के रूप में टायरों के इस्तेमाल की वजह से आग तेजी से फैली।

मुख्य सचिव ने कहा, ‘आग बहुत तेजी से फैली क्योंकि कोचिंग संस्थान में छत के लिए फ्लेक्स जैसी उच्च जवलनशील सामग्री का इस्तेमाल हुआ था, जो महज पांच फुट ऊंची थी क्योंकि ऐसे कमरे में कोई कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था, इसलिए कोचिंग के मालिक ने छात्रों के बैठने के लिए कुर्सियों की जगह टायरों का इस्तेमाल किया था। उच्च क्षमता वाली दमकल की गाड़ियों के घटनास्थल पर पहुंचने में देरी हुई, जो वहां से 45 मिनट की दूरी पर थीं। इसकी वजह से भी कुछ हद तक आग बुझाने का अभियान प्रभावित हुआ।’

गौरतलब है कि सूरत के सरथना इलाके में चार मंजिला कला एवं शिल्प कोचिंग संस्थान तक्षशिला आर्केड कॉम्पलेक्स में शुक्रवार को लगी भीषण आग में 18 छात्राओं समेत 22 छात्रों की मौत हो गयी थी। इस मामले में संस्थान के मालिक भार्गव भूटानी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि इमारत के मालिक हर्षुल वेकारिया और जिग्नेश पघदल फरार हैं। साथ ही सूरत अग्निशमन विभाग के दो अधिकारियों एस. के. आचार्य और कीर्ति मोद को काम में लापरवाही बरतने के लिये निलंबित कर दिया गया है।


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