सीमा पर बसा यह गांव, घर का एक दरवाजा भारत तो दूसरा बांग्लादेश में खुलता है

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सीमा पर बसा यह गांव, घर का एक दरवाजा भारत तो दूसरा बांग्लादेश में खुलता है

सरहदें दो देशों को बांटती हैं, लेकिन तब क्या हो जब सरहद पर बने एक घर के दरवाजे दो देशों में खुलें? जी हां भारत और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित एक गांव ऐसा ही है, जिसके घरों का एक हिस्सा भारत तो दूसरा बांग्लादेश में हैं।

भारत और बांग्लादेश के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा इसी गांव के घरोंऔर गली से होकर गुजरती है। यहां के घर का एक कमरा अपने देश में है, तो वहीं दूसरा कमरा बांग्लादेश की सीमा के अंदर आता है।


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दरअसल, यह नजारा भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्थित हरिपुकुर गांव का है। यह गांव सीमा के उस पार बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में पड़ता है। वहीं, सीमा के इस पार पश्चिम बंगाल का दक्षिण दिनाजपुर जिला है। इस गांव में एक तालाब है, जो पड़ता तो भारत के अंदर है, लेकिन इसका इस्तेमाल दोनों देशों के लोग करते हैं। इस गांव के घर आधे भारत में हैं और आधे बांग्लादेश में हैं। इसमें स्थित एक मस्जिद भी दोनों देशों की सीमा में आती है।

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अमरउजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हरिपुकुर गांव की तीन फुट की गली के बीचों-बीच से आईबी रेखा गुजरती है, जो कि जिग-जैग आकार में खींची गई है। गली के एक तरफ भारत है, तो दूसरी ओर बांग्लादेश है। बीएसएफ के जवान इस तंग सीमा रेखा पर चौकसी करते हैं, जिसमें उन्हें कई मुश्किलें भी आती हैं। इस गली की खास बात यह है कि जब कोई इस गली से गुजरता है, तो वह एक साथ भारत और बांग्लादेश में चल रहा होता है।

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इस गांव के निवासी सादिक इमरान बताते हैं, ‘यहां कोई दिक्कत नहीं हैलोग घरों में जाते हैं और गली में भी चलते हैं। जब बीएसएफ या बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवान गश्त पर आते हैं, तो हम सावधान हो जाते हैं। गांव के पशु सीमा पार जाकर एक-दूसरे देश के खेतों में चरते रहते हैं। उन्हें लाना होता है, तो सीमा भी लांघनी पड़ती है।’ सादिक इमरान ने आगे कहा, ‘अगर कोई बीमार है या किसी के साथ कोई हादसा हो गया है, तो उस वक्त गली के बीच से गुजर रही सीमा रेखा को नहीं देखा जाता। मदद के लिए तुरंत दौड़ पड़ते हैं।’

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