International Tiger Day 2020: कैसे हुई थी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत, यहां जानें क्यों खास है ये दिन

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International Tiger Day 2020 History and Significance

International Tiger Day 2020: हर साल दुनियाभर में 29 जुलाई अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन का मकसद पूरे विश्व में बाघों के सरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करना है। भारत में भी इसे लेकर पिछले एक दशक से ज्यादा से खूब बातें हो रही हैं और इसका फायदा भी देखने को मिला है।

विभिन्न देशों में अवैध शिकार एवं वनों के नष्ट होने के वजह से बाघों की संख्या में काफी कमी आई है। विश्व भर में इस दिन बाघों के संरक्षण से सम्बंधित जानकारियों को साझा किया जाता है और इस दिशा में जागरुकता अभियान चलाया जाता है, ताकि बाघों के संरक्षण को अधिक बढ़ावा मिल सकें।


केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2020 से पहले कहा, “दुनिया के कुल बाघों की आबादी का 70% भारत में है। देश को इस पर गर्व होना चाहिए।” उन्होंने कहा, “हमारे पास 30,000 हाथी, एक सींग वाले 3,000 गैंडे और 500 शेर हैं।” बकौल जावड़ेकर, अब केवल 13 देशों में बाघ हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने एक अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 में जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बाघों की आबादी 2014 में 1,400 से बढ़कर 2019 में 2,977 हो गई। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के के एक आंकड़े के अनुसार पूरी दुनिया में अभी 3900 बाघ ही बचे हैं, जबकि 1915 में ये संख्या एक लाख से ज्यादा थी।

20 सदी की शुरुआत के बाद बाघों की संख्या में तेजी से कमी आनी शुरू हुई थी। अभी बाघों की जिंदा प्रजातियों में साइबेरियन टाइगर, बंगाल टाइगर, इंडो-चाइनीज टाइगर, मलायन टाइगर, सुमात्रन टाइगर हैं। वहीं बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर विलुप्त हो चुकी हैं। हालांकि, भारत में बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है।


कैसे हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत-

बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा की कई थी। इस सम्मेलन में मौजूद कई देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।

हालांकि भारत में हालांकि बाघों को बचाने का प्रोजेक्ट काफी पहले 1973 में ही शुरू कर दिया गया था। इसके तहत कई टाइगर रिजर्व बनाए गए। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1973-74 के दौरान भारत में टाइगर रिजर्व की संख्या 9 थी लेकिन अब इसकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है।

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