झारखंड विधानसभा चुनाव : आदिवासी समुदाय को साधने में जुटे सभी दल!

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झारखंड विधानसभा चुनाव : आदिवासी समुदाय को साधने में जुटे सभी दल!

रांची | झारखंड में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तिथियों की अभी भले ही घोषणा नहीं हुई हो, लेकिन राज्य की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने को लेकर चुनावी शतरंज पर सियासी चालें चलने लगी हैं। सभी राजनीतिक दल इस राज्य में आदिवासी मतदाताओं को अपने पक्ष में कर एकमुश्त वोट पाने के जुगत में लगे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुरुवार को झारखंड के अपने दौरे में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। मोदी ने चुनाव की घोषणा के पूर्व आदिवासियों को साधने के लिए नवोदय विद्यालय की तर्ज पर एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने की शुरुआत की।


झारखंड के 69 स्कूल समेत देशभर में अगले तीन साल में कुल 462 स्कूल स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक स्कूल में जनजाति समुदाय के 480 छात्र होंगे। छात्रों को चार अलग-अगल खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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झारखंड की राजनीति को नजदीक से समझने वाले रांची के वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय कहते हैं कि झारखंड में करीब 26 फीसदी आदिवासी समुदाय के मतदाता हैं। मुस्लिम वोटों के बिखराव के बाद सभी राजनीतिक दलों की नजर इस वर्ग पर गई है।


उन्होंने कहा, “आदिवासी मतदाता और इनमें भी सरना मतदाता राजनीतिक दलों का सियासी समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल इसे अपने पक्ष में कर एकमुश्त वोट पाने की जुगत में हैं।”

कांग्रेस जहां प्रदेश अध्यक्ष की कमान आदिवासी समुदाय से आने वाले रामेश्वर उरांव के हाथों में सौंपकर आदिवासी समुदाय को साधने की कोशिश की है, वहीं आदिवासियों को अपना वोटबैंक समझने वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) इन दिनों प्रदेश में बदलाव यात्रा चला रही है और अपने इस वोटबैंक को परखने में जुटी है।

वैसे नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को शामिल कर इसके संकेत दे दिए थे कि इस चुनाव में भाजपा की रणनीति आदिवासी को अपनी तरफ करने की है।

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी कहते हैं कि एकलव्य मॉडल स्कूल की स्थापना उन प्रखंडों में होगी, जहां अनुसूचित जनजाति की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा हो या उनकी जनसंख्या 20 हजार से अधिक हो।

उल्लेखनीय है कि झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 28 सीटों में से भाजपा और झामुमो को 13-13 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि दो सीटों पर अन्य उम्मीदवार विजयी हुए थे।

भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव हालांकि इस सियासी गणित को स्वीकार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा कभी भी जाति, धर्म की राजनीति नहीं करती। भाजपा का मूल सिद्धांत ही सबका साथ-सबका विकास रहा है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भी भाजपा विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में जाएगी।

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इधर, झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि झारखंड बनने के बाद से ही आदिवासी वर्ग के मतदाता झामुमो का वोट देते आए हैं और झामुमो के शिबू सोरेन आदिवासियों के निर्विवाद नेता भी हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि अन्य सभी दलों की निगाह आदिवासियों पर है। हालांकि उन्होंने यह दावा किया है कि आदिवासी मतदाता को झामुमो से अलग करना आसान नहीं है।

बहरहाल, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास झामुमो के गढ़ समझे जाने वाले संथाल परगना से ही 15 सितंबर से आर्शीवाद यात्रा भी शुरू करने वाले हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आदिवासी मतदाता किस पार्टी को पसंद करते हैं।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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