Interview: जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को बताया दलित विरोधी, बोले- सिर्फ अफसरों-तस्करों की चाँदी

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Jitan Ram Manjhi Interview on liquor ban in bihar जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को बताया दलित विरोधी, बोले- सिर्फ अफसरों-तस्करों की चाँदी

देश में शराबबंदी सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा बन गया है। चुनावी वादों में अक्सर इसका जिक्र होता है। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 5 अप्रैल, 2016 से शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया। आरंभ में सख्त सजा के प्रावधान के साथ पारित हुए बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम-2016 में दो साल में ही संशोधन हुआ और कड़े प्रावधानों को हटा दिया गया। प्रदेश में शराब पीने, बिक्री, निर्माण और परिवहन पर प्रतिबंध के बाद से गिरफ्तारी का आंकड़ा डेढ़ लाख के पार पहुँच चुका है। दर्ज किए गए मुकदमों में सबसे ज्यादा मामले शराब के सेवन से जुड़ा है।

बिहार में शराबबंदी : कब क्या हुआ

01 अप्रैल 2016 : राज्य में देसी शराब बंद, सिर्फ निगम क्षेत्रों में विदेशी शराब की थी बिक्री
05 अप्रैल 2016 : राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में में पूर्ण शराबबंदी को लागू कर दिया
02 अक्टूबर 2016 : साल 1915 के आधार पर लागू शराबबंदी के बदले नया कानून लागू
23 जुलाई 2018 : शराबबंदी कानून में सरकार ने किए कई अहम बदलाव


बिहार में शराबबंदी फेल, गरीबों का दमन और अमीरों की पौ बारह : मांझी

नीतीश सरकार इसे सफल मान रही है और दावा कर रही है कि इससे कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है। वहीं, विपक्ष इस कानून को गरीबों और दलितों का शोषण करने का जरिया बताती रही है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी से न्यूज्ड संवाददाता सौरभ कुमार से इस विषय पर बात करते हुए शराबबंदी कानून को तुगलकी फरमान बताया है। मांझी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी सिर्फ सरकारी कागजातों में है, असल में पहले से दुगुना-तिगुना शराब बिक रही है। शराबबंदी से बिहार में पुलिस वालों और तस्करों की चांदी हुई है, जबकि दलित और गरीब लोग पिस रहे हैं।

मांझी ने आरोप लगाया कि सरकार में आधे से ज्यादा पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि रात-दिन शराब पीते हैं। लेकिन, पुलिस सिर्फ खाने-कमाने वाले मजदूर वर्ग के लोगों को पकड़ रही है। मांझी ने कहा कि 1 लाख 70 हजार मामलों में से सवा लाख सिर्फ और सिर्फ दलितों पर कार्रवाई हुई है।

सरकार में आने पर क्या करेंगे?

इस सवाल के जवाब में मांझी ने कहा कि अगर हमारी सरकार आएगी तो हम कानून में जरूरी बदलाव करेंगे। साथ ही, लोगों को शराब के खिलाफ जागृत करेंगे। लोगों को ट्रेनिंग दी जायेगी कि शराब नहीं पीनी चाहिए। इसके अलावा शराब के धंधे में लगे लोगों के लिए अलग रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।


सुनिए बिहार में शराबबंदी पर मांझी ने क्या-क्या कहा?


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